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स्वतंत्रता के बाद से भारत की उपलब्धियां और असफलताएँ

एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से भारत की यात्रा उल्लेखनीय उपलब्धियों और निरंतर चुनौतियों का एक
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200 साल का विशेषाधिकार ‘उच्च जातियों’ की सफलता का राज है, जेएनयू के सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने किया खुलासा

कुणाल कामरा के साथ एक साक्षात्कार में, प्रोफेसर देशपांडे ने उच्च जातियों की ‘योग्यता’ को उजागर किया, बताया कि कैसे जाति ने उनके दादा को ज़मीन, उनके पिता को नौकरी और उन्हें
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बहुमत के अत्याचार पर डॉ. आंबेडकर के विचार

एसआर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (नोट: आज देश में बहुमत के हिन्दुत्व के आतंक के परिपेक्ष्य में डा. अंबेडकर के विचार बहुत प्रासंगिक हैं) भारत के संविधान के प्रमुख
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आंबेडकर की रिपब्लिकन विचारधारा को पुनर्जीवित करने की तत्काल आवश्यकता

प्रशांत भावरे, सनी उके (मूल अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद: एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट) छियासठ साल पहले, 30 सितंबर, 1956 को, नई दिल्ली में डॉ. बी.आर. आंबेडकर के
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भयंकर बिजली संकट योगी सरकार की नीतियों की देन

 दिनकर कपूर, प्रदेश महासचिव, ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट, उत्तर प्रदेश। विगत एक हफ्ते से उत्तर प्रदेश में बिजली का संकट चर्चा के केंद्र में बना हुआ है। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा बिजली विभाग की हाई
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सेप्टिक टैंक सफाई का काम पूरी तरह से मशीनीकृत होना चाहिए

(मूल अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद:एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट) 2022 और 2023 में खतरनाक सफाई के कारण हुई 150 लोगों की मौतों के पीछे, जिनमें से 54 का
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पृथ्वी बोल रही है, लेकिन क्या हम वास्तव में सुन रहे हैं?

अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस पर डॉ रूपल अग्रवाल का विशेष लेख हर सूर्योदय के साथ, पृथ्वी हमारे कानों में अपने सत्य की फुसफुसाहट करती है — पेड़ों की सरसराहट, नदियों की
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जाति जनगणना एक राष्ट्र निर्माण अभ्यास है

भारतीय मुसलमानों के भीतर जाति आंदोलनों पर शोधकर्ता खालिद अनीस अंसारी कहते हैं कि औपनिवेशिक काल के दौरान किए गए विभिन्न महत्वपूर्ण कदमों के कारण हम अभी भी जनगणना में जाति को
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क्या खत्म हो रही है डब्‍लूएचओ की प्रासंगिकता?

ग्लोबल साउथ के लिए स्वास्थ्य संप्रभुता का अधिकार वापस पाने का यह एक अहम मोड़ है। नए विश्व व्यवस्था में देश अब ऐसे संगठनों या सहयोगियों को चुन रहे हैं, जो जनता-केन्द्रित
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भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और जातिवाद

बाबू डीसी वर्मा “क्या AI सामाजिक न्याय का समर्थन करेगा या यह हमेशा के लिए सामाजिक न्याय को दफनाने के लिए तैयार है?” (मूल अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद: एस आर दारापुरी (आईपीएस