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फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस: एक आवश्यक गाइड

भास्कर नेरुरकर, हेड – हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन टीम, बजाज जनरल इंश्योरेंस अपने प्रियजनों की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करना एक सार्वभौमिक प्राथमिकता है. उनकी खुशहाली की सुरक्षा करने का एक प्रभावी तरीका है
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नव-बौद्धों ने हिन्दू दलितों की अपेक्षा अधिक प्रगति की  

एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट डा. बाबासाहेब भीम राव अंबेडकर ने सबसे पहले 1927 में महाड़ तालाब सत्याग्रह के दौरान धर्म परिवर्तन का संकेत दिया था जब उन्होंने
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दलितों पर बौद्ध धर्मांतरण का प्रभाव

एस आर दारापुरी आईपीएस (से. नि.) (14 अक्तूबर को दीक्षा- दिवस पर विशेष) डॉ. बी.आर. अंबेडकर द्वारा 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में एक सामूहिक कार्यक्रम में दलितों (जिन्हें पहले भारत की
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नागपुर में सनातन जाप और संविधान पर उछलता जूता!!

(आलेख : बादल सरोज) मजमून के मुकाबले जूते के चलने को अपने शेर में “बूट डासन ने बनाया, मैंने एक मजमूँ लिखा / मेरा मजमून रह गया डासन का जूता चल गया”
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संघ के सौ बरस का इकलौता हासिल

(आलेख : राजेंद्र शर्मा) दो दिनों में फैले आरएसएस के शताब्दी वर्ष के केंद्रीय आयोजनों ने जितने बलपूर्वक उसके बुनियादी तौर पर एक राजनीतिक संगठन और वर्तमान सत्ता की राजनीति करने वाला
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डॉ. बी. आर. आंबेडकर और उनका स्वतंत्रता बाद के भारत में अस्पृश्यता का अनुभव

एस. आर. दारापुरी डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर (1891-1956), भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता और भारत के पहले कानून मंत्री, भारतीय समाज के सबसे उत्पीड़ित सामाजिक तबके – तथाकथित “अछूतों” से आए थे।
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आरएसएस के सौ वर्ष और भारतीय संविधान

(आलेख : जवरीमल्ल पारख) भारतीय तिथि के अनुसार 2 अक्टूबर 2025 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना को सौ वर्ष पूरे हो चुके हैं। पिछले 11 वर्षों से आरएसएस, जो एक
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शिक्षा जगत में जाति: भारत से विदेश तक योग्यतावाद

अमृता दासगुप्ता द्वारा(मूल अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद: एस आर दारापुरी आईपीएस (सेवानिवृत)प्रोफ़ेसर मरूना मुर्मू (जादवपुर विश्वविद्यालय, इतिहास विभाग की प्रोफ़ेसर) का जातिवादी अपमान जारी है। हाल ही में, उनसे अदालत में यह
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संघ और बापू जी बर्थ डे शेयरिंग बेनिफिट

राजेंद्र शर्मा गुरु गुड़ रहा और चेला शक्कर हो भी गया तो क्या? आखिर, मोदी जी के संगठन रूपी गुरु का मामला था। चेला बादल देखकर बेनिफिट ले सकता था, तो गुरु
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डा. अंबेडकर और साम्राज्यवाद, ब्राह्मणवाद एवं पूंजीवाद से मुक्ति संघर्ष

(नोट: सिद्धार्थ रामू का यह लेख बहुत सारगर्भित एवं सामयिक है खास करके हिन्दू राष्ट्र के खतरे के सम्मुख। यह बाबासाहेब के संघर्ष के मूल मुद्दों को स्पष्ट रूप से चिन्हित करता