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ताजमहल : कुत्सित इरादों से पुरानी बातों का दुहराव

(आलेख : राम पुनियानी) ताजमहल को दुनिया के सात अजूबों में गिना जाता है। वह दुनिया में भारत की प्रमुख पहचानों में से एक है। ताजमहल संगमरमर पर उकेरी गई कविता है।
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पटना रोड शो: एनडीए के लिए तीन बुरी खबरें

(आलेख : राजेंद्र शर्मा) राजधानी पटना में प्रधानमंत्री के बहुप्रचारित रोड शो को अगर, बिहार के विधानसभाई चुनाव के रुझान का संकेतक माना जा सकता है, तो यह दर्ज किया जाना चाहिए
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दलित राजनीति को चाहिए एक नया रेडिकल एजंडा

डा. अंबेडकर दलित राजनीति के जनक माने जाते हैं। उन्होंने ही सबसे पहले 1936 में स्वतंत्र मजदूर पार्टी, 1942 में शैडयूलड कास्ट्स फेडरेशन और 1956 में रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया (आरपीआई) बनाई
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पलटूराम की अवसरवादी राजनीति का अंत होना तय

(आलेख : संजय पराते) कांग्रेस की अहंकारी राजनीति से जो झटका महागठबंधन को लगने के आसार बन गए थे, महागठबंधन की जीत के बाद तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की सहमति की घोषणा
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आरएसएस की स्थापना शुरुआती दलित लामबंदी के विरुद्ध भी एक प्रतिक्रिया थी

आनंद तेलतुंबडे (मूल अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद: एस आर दारापुरी आईपीएस (से.नि.) पारंपरिक कहानी RSS को मुख्य रूप से हिंदू-मुस्लिम दंगों और मुस्लिम प्रभुत्व के कथित खतरे के जवाब में गठित होने
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मध्यप्रदेश : बीमारू प्रदेश से मृत्यु प्रदेश तक!

(आलेख : जसविंदर सिंह) मध्यप्रदेश आजकल कई वजहों से चर्चा में हैI मगर यह चर्चा प्रदेश के लिए इतना दुखद हैं कि इसने कई घरों में गूंजती किलकारियों को खामोश कर दिया
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कम्युनिस्ट केरल की कहानी : जहां अब कोई नहीं है गरीबी रेखा के नीचे

सिद्धार्थ रामू योजना आयोग को खत्म कर नरेंद्र मोदी सरकार ने नीति आयोग गठित किया। इसी नीति आयोग की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार केरल में सिर्फ 0.7 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा
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मोदी के ग्यारह वर्षों के कार्यकाल में भारत का सामाजिक पतन शायद सुधार योग्य न हो

(मूल अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद: एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट) पिछले महीने जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में अपने ग्यारह वर्ष पूरे किए, तो कुछ समय
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नफरत की राजनीति में पत्रकारिता की छौंक!

संजय पराते अमित शाह ने दिल्ली में दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक नरेंद्र मोहन की स्मृति में व्याख्यान दिया। व्याख्यान का विषय था : घुसपैठ, जन सांख्यिकी परिवर्तन और लोकतंत्र। नरेंद्र
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शैतान की खाला को शांति का नोबल

(आलेख : बादल सरोज) हर साल दिए जाने वाले नोबल पुरस्कार के नाम पर दिए जाने वाले सम्मानों की बहुत चर्चा होती है । कुछ इस तरह होती है कि जैसे जिन्हें