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इस बार वे राजा राममोहन राय के लिए आये!

(आलेख : बादल सरोज) जैसा भी समय हो, कैसा भी माहौल हो, कुनबा पूरी तल्लीनता के साथ अपना आख्यान बढ़ाने के काम में एकदम बगुला भाव से लगा रहता है। दिल्ली में
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सिर्फ प्रतीक नहीं, एक जीवंत दर्शन हैं बिरसा मुंडा

(बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर विशेष आलेख : कुमार राणा, अनुवाद : संजय पराते) केवल पच्चीस वर्षों का जीवन, फिर भी उसका फलक काफी व्यापक है। जिस मुंडा समुदाय में उनका
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चौंकाने से ज्यादा चिंतित करते हैं बिहार चुनाव के नतीजे

(आलेख : बादल सरोज) 14 नवम्बर को घोषित हुए बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे सचमुच अप्रत्याशित हैं । संसदीय लोकतंत्र में अनुमान के जितने भी पैमाने हैं, उनमें से कोई भी इस
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आरक्षण पर हंगामा, जाति गणना दलितों का उत्थान नहीं, बल्कि अपमान है’: आनंद तेलतुम्बड़े

कविता अय्यर (मूल अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद: एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट) [अपनी नई किताब ‘द कास्ट कॉन सेंसस’ में भारत की स्वतंत्रता-पूर्व जनगणना के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए, नागरिक
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बिहार चुनाव : बिगड़े सुर, बेसुरी तान, अटपटे बोल, सन्निपात में एनडीए!

(आलेख : बादल सरोज) बिहार विधानसभा के लिए दो चरणों में होने वाले मतदान के पहले चरण का अभियान पूरा हो चुका है। यूं तो पिछले कोई तीन दशक से बिहार के
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“आमार सोनार बांग्ला” और आरएसएस-भाजपा की नफ़रत फैलाने वाली विभाजनकारी राजनीति

(आलेख : नीलोत्पल बसु, अनुवाद : संजय पराते) लॉर्ड कर्ज़न अपनी कब्र में ज़रूर हँस रहे होंगे। बराक घाटी के करीमगंज ज़िले का नाम बदलकर श्रीभूमि कर दिया गया है। हाल ही
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ताजमहल : कुत्सित इरादों से पुरानी बातों का दुहराव

(आलेख : राम पुनियानी) ताजमहल को दुनिया के सात अजूबों में गिना जाता है। वह दुनिया में भारत की प्रमुख पहचानों में से एक है। ताजमहल संगमरमर पर उकेरी गई कविता है।
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पटना रोड शो: एनडीए के लिए तीन बुरी खबरें

(आलेख : राजेंद्र शर्मा) राजधानी पटना में प्रधानमंत्री के बहुप्रचारित रोड शो को अगर, बिहार के विधानसभाई चुनाव के रुझान का संकेतक माना जा सकता है, तो यह दर्ज किया जाना चाहिए
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दलित राजनीति को चाहिए एक नया रेडिकल एजंडा

डा. अंबेडकर दलित राजनीति के जनक माने जाते हैं। उन्होंने ही सबसे पहले 1936 में स्वतंत्र मजदूर पार्टी, 1942 में शैडयूलड कास्ट्स फेडरेशन और 1956 में रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया (आरपीआई) बनाई
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पलटूराम की अवसरवादी राजनीति का अंत होना तय

(आलेख : संजय पराते) कांग्रेस की अहंकारी राजनीति से जो झटका महागठबंधन को लगने के आसार बन गए थे, महागठबंधन की जीत के बाद तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की सहमति की घोषणा