नई दिल्ली। शराब की बिक्री पर रोक हटाकर सभी राज्यों की सरकारों ने कोरोना नियंत्रण पर अब तक किए गए सभी प्रयासों को धुमिल कर दिया है। जिस तरह से सोशल डिस्टेंसिंग से कोरोना महामारी के संक्रमण से बचने के लिए देशवासी काम धंधा छोड़कर बैठे थे, शराब पर पाबंदी हटाकर सरकार ने इन सभी प्रयासों को धुसरित कर दिया है।

मुस्लिम स्टूडेंट्स ओर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया ने यहाँ जारी प्रेस नोट में कहाकि यह कितना हास्यास्पद है कि शराब की बिक्री तो शुरू कर दी गई है लेकिन बाक़ी कारोबार बंद हैं। दरअसल, शराब और पेट्रोल पर राज्य सरकारें अपनी ज़रूरत के हिसाब से टैक्स लगाकर सबसे ज़्यादा राजस्व वसूलती हैं। यह माना जाना चाहिए कि राज्य की सरकारों को अपने राजस्व के सम्मुख जनता के स्वास्थ्य की रत्ती भर भी परवाह नहीं है। राज्य सरकारों को हो रहे राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए ही लॉकडाउन के बावजूद शराब की दुकानें खोली गई हैं जबकि सरकारों में इच्छा शक्ति हो तो वह रोज़मर्रा के कारोबार को खोलकर ना सिर्फ अन्तरसम्बद्ध कारोबार को बढ़ावा दे सकती है बल्कि लोगों को रोज़गार के साधन भी बढ़ा सकती है।

संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शुजात अली कादिरी ने कहाकि शराब में सिर्फ शराब के निर्माता, सरकार और ठेकोदारों को ही लाभ है जबकि बाक़ी जनता को ना सिर्फ शराब से होने वाले स्वास्थ्य ख़तरों से निपटना है बल्कि इस दौरान शराब के ठेकों पर जो अफरा तफरी मची है, उससे राज्य सरकारों ने कोरोना के संक्रमण को बढ़ने का मौक़ा ही दिया है। उन्होंने कहाकि जिन राज्यों में शराब बिकती हैं वहां सरकार के कुल राजस्व का पंद्रह से पच्चीस फ़ीसदी हिस्सा शराब से ही आता है। यही वजह है कि लॉकडाउन के बावजूद राज्य सरकारों ने शराब बेचने में जल्दबाज़ी दिखाई है। यूपी, कर्नाटक और उत्तराखंड अपने कुल राजस्व का बीस फ़ीसदी से अधिक सिर्फ़ शराब की बिक्री से हासिल करते हैं लेकिन इसका यह आशय कतई नहीं है कि सरकारें सिर्फ अपने राजस्व बढ़ाने के लालच में जनता के स्वास्थ्य के साथ दोहरा कुठाराघात करें।

आपको बता दें कि जैसे ही लॉकडाउन 2 समाप्त हुआ, उत्तर भारत समेत कई राज्यों की सरकारों ने कई कारोबार को या तो बंद रखा या सशर्त कुछ समय के लिए खोलने की अनुमति दी। आश्चर्य की बात है कि शराब की दुकानों को खोलने की इजाज़त दे दी गई। इसके बाद इन दुकानों के बाहर इतनी भीड़ इकट्ठा हो गई कि कई जगह पुलिस ने लाठी चार्ज करके हालात को क़ाबू में किया। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियाँ उड़ीं और लोग एक दूसरे से गुत्थमगुत्था हो गए। इससे कोरोना संक्रमण के बुरी तरह फैलने का ख़तरा भी पैदा हो गया है।