लखनऊ
सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, रीजेंसी अस्पताल 28 मार्च को सुबह 6.30 बजे से 8.30 बजे तक किडनी रोगों की रोकथाम पर जागरूकता पैदा करने के लिए वॉकथॉन का आयोजन कर रहा है। ये वॉक खुर्रम नगर स्थित रीजेंसी हेल्थ के परिसर से शुरू होगी और एमडी पैलेस पर समाप्त होगी। कुल 2 किमी की दूरी तय की जाएगी। वॉकथॉन का आयोजन इस वर्ष विश्व किडनी दिवस की थीम – किडनी हेल्थ फॉर ऑल के तहत किया जा रहा है।

वॉकथॉन में सभी आयु वर्ग के लोग और यहां तक कि मधुमेह, किडनी रोग या मोटापे से पीड़ित रोगी भी शामिल हो सकते हैं। इस पहल में रीजेंसी हेल्थ के डॉक्टर – डॉ. दीपक दीवान, एमडी, डीएम, नेफ्रोलॉजी, रीनल साइंसेज के निदेशक और डॉ. आलोक कुमार पांडे, कंसल्टेंट – नेफ्रोलॉजिस्ट एवं रीनल ट्रांसप्लांट एवं अन्य डॉक्टर भी शामिल होंगे ।

डॉ दीपक दीवान, एमडी, डीएम, नेफ्रोलॉजी, रीनल साइंसेज विभाग के निदेशक, रीजेंसी अस्पताल, लखनऊ ने कहा, “हमारी आबादी का लगभग 17 से 18 प्रतिशत किडनी की बीमारियों से पीड़ित है, लेकिन जब क्रोनिक किडनी रोगों की बात आती है तो जागरूकता का स्तर अभी भी कम है। मधुमेह और उच्च रक्तचाप गुर्दे की बीमारियों के प्रमुख कारण होने के अलावा, गर्मी, तनाव, जल प्रदूषण और कीटनाशकों का उपयोग भी महत्वपूर्ण जोखिम कारक हैं। टहलना सक्रिय और स्वस्थ रहने का एक आसान और प्रभावशाली तरीका है । विशेष रूप से किडनी के सम्बन्ध में, चलने से हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा कम हो सकता है। गुर्दे की बीमारी से पीड़ित लोगों, खासकर जब डायलिसिस पर हों, को दिल से संबंधित समस्याएं होने का खतरा अधिक होता है। टहलना आपके पूरे शरीर को गतिमान रखने में मदद करता है। यह आपके शरीर में आपके रक्त को पूरे अंगों में पंप करता रहता है, जो कई स्वास्थ्य स्थितियों के लिए अच्छा है। पैदल चलने के इन फायदों को ध्यान में रखते हुए हम लोगों में जागरुकता पैदा करने के लिए इस वॉकथॉन का आयोजन कर रहे हैं।

डॉ. आलोक कुमार पाण्डेय, कंसल्टेंट- नेफ्रोलॉजिस्ट एंड रीनल ट्रांसप्लांट, रीजेंसी अस्पताल ने कहा, “भारत में किडनी की बीमारी एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य चिंता है और किडनी रोगों के कारण जीवनशैली में नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इसलिए लक्षणों और निवारक उपायों को समझना महत्वपूर्ण है। इन जीवन शैली कारकों के कारण भारत में युवाओं में भी मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गुर्दे की बीमारी और दिल के दौरे बढ़ रहे हैं लेकिन यह एक चौंकाने वाला तथ्य है कि गुर्दे की बीमारी वाले केवल 10% लोग ही जानते हैं कि वे गुर्दे की बीमारी से पीड़ित हैं। मुख्य कारण यह है कि गुर्दे की क्षति के अंतिम चरण तक लक्षण प्रकट नहीं होते हैं, वे विशिष्ट नहीं होते हैं और उनके बारे में जागरूकता कम होती है। इस प्रकार, इस पहल के साथ हमारा उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों में जागरूकता पैदा करना है।