लखनऊ: “उत्तर प्रदेश में सामान्य बीमारी वाले मरीजों को अस्पतालों में नहीं मिल रहा इलाज” यह बात आज एस. आर. दारापुरी आईपीएस (से.नि.) राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश को पार्टी की ओर से भेजे गए पत्र में कही है. उन्होंने उक्त पत्र द्वारा मुख्य मंत्री को अवगत कराया है कि अपनी पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता और दो बार (2014 व 2019) में राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के कारण उन्हें राबर्ट्सगंज, मिर्ज़ापुर तथा चंदौली जिलों तथा अन्य जनपदों से लोगों के लगातार फोन आ रहे हैं कि कोरोना संकट काल में अधिकतर सरकारी अस्पतालों में सामान्य बीमारियों के इलाज की सुविधा नहीं दी जा रही है जिससे आम जनता को काफी कठिनाई एवं बीमारी के खतरों का सामना करना पड रहा है.

दारापुरी ने कहा है कि इसका एक ताजा उदाहरण सोनभद्र जिले का है. वहां श्रम विभाग से सेवा निवृत गिरिजा शंकर सिंह निवासी पिपरी की पुत्री जो गर्भवती है, के इलाज को हिंडाल्को अस्पताल द्वारा मना कर दिया गया है. इसी प्रकार वाराणसी में समाजवादी विचारधारा को समर्पित अफलातून की पत्नी प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्त्री स्वाती का निधन भी कैसर के इलाज की सुविधा न मिलने के कारण हो गया. इतना ही नहीं लखनऊ के श्यामा प्रसाद मुखर्जी जिला अस्पताल तथा बलरामपुर अस्पताल में खून की जांच की सुविधा तक बंद कर दी गयी है. इसका ताजा उदाहरण आशुतोष बोड़कर का है जिन्हें सरकारी अस्पताल में इलाज व जांच न मिलने के कारण निजी अस्पताल से खून की जांच करानी पड़ी. यह कुछ उदाहरण आपके संज्ञान में लाते हुए बताना यह है कि इससे आम बीमारी वाले मरीजों को घोर कठिनाई एवं बीमारी के खतरे का सामना करना पड़ रहा है.

दारापुरी ने आगे कहा है कि उन्हें यह भी ज्ञात हुआ है कि सरकारी महिला अस्पतालों में कोरोना संक्रमित महिला मरीजों के लिए अलग से कोरोना वार्ड नहीं बनाया गया है जो कि पूर्णतया अनुचित है. साथ ही यह भी कि निजी अस्पतालों को भी बंद कराया जा रहा है. कुल मिलाकर आम आदमी की जान खतरे में है और इलाज न मिलने से बेमौत मरने के लिए मजबूर है.

अतः आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश से अनुरोध किया है कि वे सभी सरकारी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के साथ-साथ सामान्य बीमारी के मरीजों को भी इलाज की सभी सुविधाएँ देने के लिए स्वास्थ्य विभाग को तत्काल प्रभाव से आदेश देने का कष्ट करें ताकि सभी मरीजों को उचित इलाज तथा स्वास्थ्य सुरक्षा मिल सके और उनके जीवन की रक्षा हो सके.