तौक़ीर सिद्दीकी

तौकीर सिद्दीक़ी क्या विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में किसी टेस्ट प्लेइंग नेशन का कप्तान इतना निराशाजनक बयान दे सकता है कि वो खुद कह दे कि वो इस टूर्नामेंट को जीतने नहीं आया है, क्या वो यह कह सकता है कि एशिया की दो बड़ी टीमों को अगर वो किसी मैच में हराती है तो वह एक अपसेट होगा, यानी वह अपनी टीम को इतना कमज़ोर समझता है कि उसे जीत के काबिल ही नहीं समझता। वो कप्तान और कोई नहीं बांग्लादेश के कप्तान साकिबुल हसन हैं जो कल भारत से होने वाले मैच से पहले टीम का मनोबल गिराने वाला बयान दे रहे हैं. बांग्लादेश को भारत और पाकिस्तान से खेलना है, बांग्लादेश के तीन मैचों में चार अंक हैं, यानि भारत के बराबर और पाकिस्तान से दो अंक ज़्यादा, इसके बावजूद उस टीम का कप्तान इस तरह के बयान दे रहा है. इसे साकिब की हताशा कहें या फिर कोई रणनीति क्योंकि कमज़ोर से कमज़ोर टीम का कप्तान भी कभी यह नहीं कहता कि वो विश्व कप जीतने नहीं आया है. तो क्या दशकों से क्रिकेट खेलने वाली बांग्लादेश की टीम अभी भी सिर्फ अपनी पहचान के लिए विश्व कप मुकाबलों में हिस्सा लेती है. मैच से पहले हर टीम अपनी जीत का दावा करती है, कम से कम यह तो ज़रूर कहती है कि जीत की पूरी कोशिश करेगी लेकिन यहाँ तो उलटी गंगा बह रही है. बांग्लादेश के पास तो अभी भी ऐसा मौका है कि वह भारत और पाकिस्तान को हराकर ग्रुप में टॉप पर पहुँच सकता है. ऐसा भी नहीं है कि उसने इन दोनों टीमों को हराया नहीं है. भले ही कम ही सही लेकिन हराया तो है तो फिर जो पहले हो चूका है वह अब क्यों नहीं हो सकता। यह टी 20 क्रिकेट है जहाँ दो ओवरों में मैच का रुख बदल जाता है लेकिन साकिब ने कमाल ही कर दिया। यह कैसी मानसिकता है? एक कप्तान खुद कह रहा है कि वह यहाँ जीतने नहीं आया है. साकिब के इस बयान पर तो अबतक बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड को एक्शन ले लेना चाहिए। और अगर ऐसा नहीं हो रहा तो फिर यही माना जायेगा कि यह किसी मकसद के तहत दिया गया बयान है जिसकी जानकारी बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड को भी है. मानते हैं कि भारत की टीम बांग्लादेश पर भारी है, बांग्लादेश की हार की सम्भावना भी है लेकिन जब ज़िम्बाब्वे पाकिस्तान को हरा सकती है, आयरलैंड इंग्लैंड को हरा सकती है तो क्या बांग्लादेश इन दोनों टीमों से भी अपने को गया गुज़रा मानती है. वह दोनों टीमें तो क्वालीफाई करके पहुंची थी, बांग्लादेश को तो सुपर 12 में सीधे एंट्री मिली थी क्योंकि वह टॉप की आठ टीमों में शामिल है. श्रीलंका ने भी क्वालीफाई कर सुपर 12 में एंट्री मारी थी लेकिन दासुन शनाका ने तो ऐसा कोई बयान नहीं दिया। उसके तो चार मैचों में 4 अंक हैं फिर भी सेमी फाइनल की आस लगाए हुए है. साकिबुल हसन के इस बयान की क्रिकेट जगत में काफी चर्चा हो रही है और हर कोई उनके बयान से हैरान है. बड़े बड़े पूर्व खिलाडियों का भी कहना है कि उन्होंने इस तरह का बयान किसी भी टीम के कप्तान से आज तक नहीं सुना है.

ऑस्ट्रलिया में खेला जा रहा टी20 क्रिकेट विश्व कप का आठवाँ एडिशन बेहद अनिश्चितताओं वाला रहा है. सुपर 12 राऊंड के अब सिर्फ दो दिन रह गए हैं मगर फ़ाइनल 4 यानि सेमीफाइनल के लिए टीमें अभी तक फाइनल नहीं हुई हैं। कल यानि 5 नवंबर को इंग्लैंड और श्रीलंका के मैच के बाद तय होगा कि ग्रुप 1 में कौन सी टीमें सेमीफाइनल में पहुंचेंगी वहीँ ग्रुप 2 से फैसला 6 नवंबर को होगा, मतलब सुपर 12 दौर के आखरी दिन पता चलेगा कि कौन सी दो टीमें semis में पहुंची हैं और कौन सी टीम अपने ग्रुप में टॉप पर रहेगी।

पाकिस्तान की टीम जब ज़िमबाब्वे के हाथों हार गयी तबसे एक बहस छिड़ी हुई है कि वह दुआओं के सहारे है क्यों समीकरण उसके खिलाफ हैं. भारत और ज़िम्बाबवे से हारने के बाद उसके फाइनल 4 में पहुँचने की उम्मीद आने वाले सभी मैचों में जीत के साथ ही दूसरी टीमों की हार पर आकर टिक गयी हैं. भारत का जब साउथ अफ्रीका से मैच था तब कहा जा रहा था कि पाकिस्तान भारत की जीत की दुआएं मांग रहा है क्योंकि साउथ अफ्रीका के हारने से उसके लिए मौके बनने की उम्मीद थी मगर साउथ अफ्रीका ने भारत को हरा दिया। तब से पाकिस्तान टीम के साथ दुआओं का टैग चिपका दिया गया है लेकिन इस विश्व कप में दुआओं के सहारे अकेले पाकिस्तान की टीम नहीं है, और भी कई टीमें हैं जिन्हें अपनी जीत के साथ ही दुआओं की ज़रुरत है या कह सकते हैं कि किसी की हार या जीत की ज़रुरत है.

ऑस्ट्रेलिया ने 4 नवंबर को अफ़ग़ानिस्तान को किसी तरह हराकर दो अंक हासिल कर पॉइंट्स टेबल में सात अंकों के साथ न्यूज़ीलैण्ड के बाद दूसरे नंबर पर स्थान हासिल कर लिया मगर इसके बावजूद आज ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड के खिलाफ श्रीलंका की जीत की दुआ मांग रहा है क्योंकि इंग्लैंड की जीत का मतलब सात पॉइंट के बावजूद उसका विश्व कप से बाहर होना है. एक मेज़बान देश और पिछले विश्व चैम्पियन का सेमीफाइनल में न पहुँच पाना यकीनन एक अपसेट ही माना जायेगा, वहीँ साउथ अफ्रीका भी दिल से दुआएं मांग रहा होगा कि 6 नवंबर को नीदरलैंड के खिलाफ मैच वो न हारे या फिर वाश आउट न हो क्योंकि ऐसी सूरत में वो विश्व कप से बाहर हो जायेगा। क्योंकि बांग्लादेश और पाकिस्तान के मैच में जो भी जीतेगा उसके 6 अंक हो जायेंगे और वह सेमी फाइनल के लिए भारत के साथ क्वालीफाई कर जायेगा। भारत भी दुआएं मांग रहा होगा कि ज़िम्बाब्वे उन्हें पाकिस्तान की तरह अपसेट न कर सके क्यों तब भारत भी टूर्नामेंट से बाहर हो सकता है, हालाँकि सम्भावना कम है लेकिन ऐसा रिजल्ट असंभव भी नहीं।

कुल मिलाकर बचे हुए चारों मैच किसी रोमांच से कम नहीं, विशेषकर अंतिम दिन यानि 6 नवंबर के तीनों मैचों में कोई भी बड़ा उलटफेर किसी भी टीम का गणित बिगाड़ सकता है. अगर पहले मैच में साउथ अफ्रीका के साथ कोई अनहोनी हो गयी तो फिर पाकिस्तान और बांग्लादेश के मैच की अहमियत और बढ़ जाएगी क्योंकि दोनों ही टीमें अंतिम चार में पहुँच सकती हैं, ऐसे में एक कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. कहने का मतलब यह कि दुआओं की ज़रुरत सिर्फ पाकिस्तान की टीम को ही नहीं, ऑस्ट्रेलिया के साथ साउथ अफ्रीका और भारत को भी है.