लखनऊ: कोविड-19 को वैश्विक महामारी कहना उचित नहीं होगा। यह तो भविष्य को नियंत्रित करने के लिए वैश्विक शक्तियों की एक सोची समझी चाल है। ऐसे ही, लॉकडाउन अर्थव्यवस्था को नष्ट करने की एक साजिश है और मास्क कोरोना वायरस से हमारी रक्षा नहीं कर सकते, बल्कि ये अधिक नुकसान और बीमारी का कारण बन सकते हैं। हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता ही हमें कोविड से बचा सकती है। इस तरह के विचार एक वेबिनार के मुख्य आकर्षण रहे। इस मौके पर एन.आई.सी.ई. – वे टु क्योर कोविड-19 नामक एक किताब का अनावरण भी जारी किया गया। इसमें देश के अलग-अलग भागों के चिकित्सकों ने भाग लिया।

वेबिनार का आयोजन डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी, पीएचडी (मधुमेह) द्वारा किया गया था, जो एन.आई.सी.ई. – वे टु क्योर कोविड-19 किबात के लेखक हैं। वेब परिचर्चा में शामिल होने वाली अन्य प्रमुख थे- हरियाणा सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के महानिदेशक एवं सचिव, डॉ. प्रवीण कुमार (आईएएस) जो एक योग्य होम्योपैथ भी हैं; डॉ. अमर सिंह आजाद, एमबीबीएस, एमडी (चंडीगढ़); डॉ. के बी तुमाने, छाती रोगों के विशेषज्ञ (नागपुर) एवं डॉ. तरुण कोठारी, एमबीबीएस, एमडी।

डॉ. प्रवीण कुमार, आईएएस, ने कहा, ‘कोविड-19 नया वायरस नहीं है और यह हमारे अस्तित्व का एक अभिन्न अंग है। यह वायरस किसी भयंकर बीमारी या मौत के लिए जिम्मेदार नहीं है। इसके मेजबान (यानी मानव) की कमजोर इम्युनिटी ही मृत्यु व बीमारी का कारण बनती है। अंग्रेजी दवाएं किसी बीमारी का इलाज करने के बजाय उसे दबा देती हैं। इसी तरह, वैक्सीन का काम होता है बीमारी को भडक़ा देना, जबकि उसे ठीक करने का दायित्व एंटीबॉडीज का होता है। तभी तो प्लाज्मा थेरेपी प्रभावी होती है। ‘

डॉ. बिश्वरूप रॉय चौधरी ने कहा, ‘नाइस (नेटवर्क ऑफ इन्फ्लुएंजा केयर एक्सपर्ट्स) के 450 सदस्यों की हमारी टीम पिछले तीन महीने में 20,000 से अधिक कोविड-19 रोगियों चरणबद्ध फ्लू डाइट के जरिए बिना दवा, खर्च या मौत के, ठीक कर चुकी है। हमने कोविड मरीजों की सुविधा के लिए एक नाइस हेल्पलाइन (85870-59169) भी शुरू की है। ‘

डॉ. के बी तुमाने ने कहा कि वेंटिलेटर एक यांत्रिक प्रक्रिया है, जो कुछ ही समय के लिए जीवित रखती है, जबकि ऑक्सीजन देना सबसे अच्छा विकल्प है। उनकी सलाह है कि कोविड-19 से बचाव के लिए प्रतिदिन दो बार पानी के साथ 5 ग्राम हल्दी लेनी चाहिए।

डॉ. तरुण कोठारी ने कहा कि देश की आधी आबादी कोरोना वायरस से प्रभावित हो चुकी है, हालांकि यह हर किसी को हानि नहीं पहुंचाता है। कोरोना संक्रमण एक तरह से हमारे लिए अच्छा ही है, क्योंकि इससे शरीर में एंटीबॉडी बनती हैं।

डॉक्टरों का कहना था कि यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि यह एक नया वायरस है, क्योंकि यह वायरस निरंतर विकसित होता रहता है और रूप बदलता रहता है। कोविड-19 केस फेटेलिटी रेट (सीएफआर) और संक्रमण दर (आरओ) के संदर्भ में एक सामान्य फ्लू की तरह ही है। इस बात पर भी जोर दिया गया कि मास्क पहनने से ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण (यूआरटीआई) की रक्षा नहीं हो पाती है। हालांकि, मास्क के कारण कार्बन डाईऑक्साइड फेफड़ों में निरंतर वापस जाती है, जोकि बीमार बना सकता है। यह साबित करने के लिए कोई किसी के पास सबूत नहीं है कि सामाजिक दूरी और लॉकडाउन से महामारी को रोका जा सकता है।