नई दिल्ली: प्रशांत भूषण के खिलाफ 11 साल पुराने अवमानना मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। भूषण के वकील राजीव धवन ने मांग की कि इस मामले को संविधान पीठ को भेज दिया जाए।

बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, इस मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है, मेरे पास समय की कमी है, इसलिए बेहतर होगा कि कोई और बेंच 10 सितंबर को मामले पर विचार करे। चीफ जस्टिस नई बेंच का गठन करेंगे। बता दें कि जस्टिस मिश्रा 2 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं।

इससे पहले अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि अवमानना के लिए दोषी ठहराए गए वकील प्रशांत भूषण को माफी दी जानी चाहिए। प्रशांत भूषण को बोलने की स्वतंत्रता है, लेकिन उनका कहना है कि वह अवमानना के लिए माफी नहीं मांगेंगे।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इंसान को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए, हमने भूषण को समय दिया, लेकिन उनका कहना है कि वह माफी नहीं मांगेंगे। अदालत को भूषण को चेतावनी देनी चाहिए और दयापूर्ण रुख अपनाना चाहिए। अदालत केवल अपने आदेश के जरिए ही अपनी बात रख सकती है। अपने हलफनामे में भी प्रशांत भूषण ने अपमानजनक टिप्पणी की है।

प्रशांत भूषण ने कहा कि इनमें उन्होंने अपने उन विचारों को व्यक्त किया है जिन पर वह हमेशा विश्वास करते हैं। प्रशांत भूषण ने स्वत: अवमानना के मामले में दाखिल अपने पूरक बयान में कहा कि पाखंडपूर्ण क्षमा याचना मेरी अंतरात्मा और एक संस्थान के अपमान समान होगा।

इससे पहले दो ट्वीट के चलते सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के दोषी करार दिए गए वकील प्रशांत भूषण ने माफी मांगने से मना कर दिया है। ऐसे में उनको सजा मिलनी तय हो गई है। जजों के बारे में 2 विवादित ट्वीट करने वाले प्रशांत भूषण को कोर्ट ने बिना शर्त माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया था। लेकिन उन्होंने लिखित जवाब दाखिल कर कहा है, “मुझे नहीं लगता कि दोनों ट्वीट के लिए माफी मांगने की जरूरत है।“