दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने अभी अभी साफ कर दिया है कि महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के लिए फ्लोर टेस्ट कल ही होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह राज्यपाल द्वारा निर्देशित फ्लोर टेस्ट पर रोक नहीं लगाई जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कल अपने तय वक्त पर ही फ्लोर टेस्ट होगा. अब सवाल यह है कि फ्लोर टेस्ट से पहले उद्धव ठाकरे इस्तीफा देते हैं या नहीं.

इस पूरे मामले में शिवसेना की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी पक्ष रखा था तो वहीं शिंदे गुट की तरफ से कोर्ट में नीरज किशन कौल ने अपनी दलील रखी. सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्हें आज ही फ्लोर टेस्ट को लेकर जानकारी मिली है. जब तक विधायकों का सत्यापन नहीं हो जाता, फ्लोर टेस्ट नहीं किया जा सकता है. सिंघवी की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछा कि क्या फ्लोर टेस्ट के लिए कोई न्यूनतम समय होता है. क्या संविधान में ऐसा लिखा है कि अगर फ्लोर टेस्ट होता है तो सरकार बदल जाती है, तो दोबारा फ्लोर टेस्ट नहीं किया जा सकता?

कोर्ट ने ये भी सवाल पूछा कि क्या बहुमत परीक्षण 10 या 15 दिनों में दुबारा नही हो सकता अगर परिस्थिति बदलती है तो? संविधान में इसको लेकर क्या प्रावधान है? इस पर सिंघवी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट बहुमत जानने के लिए होता है. इसमें इस बात की उपेक्षा नहीं कर सकते कि कौन वोट डालने के योग्य है, कौन नहीं. स्पीकर के फैसले से पहले वोटिंग नहीं होनी चाहिए. उनके फैसले के बाद सदन सदस्यों की संख्या बदलेगी.

कोर्ट फिर सिंघवी से सवाल पूछा कि अयोग्यता का मामला कोर्ट में लंबित है. जो हम तय करेंगे कि नोटिस वैध है या नहीं? लेकिन इससे फ्लोर टेस्ट कैसे प्रभावित हो रहा है? इस पर सिंघवी बताया कि अयोग्यता को लेकर अगर स्पीकर फैसला लेते हैं और अयोग्य करार देते हैं तो फैसला 21/22 जून से लागू होगा. जब उन्होंने नियमों को तोड़ा है, उस दिन से उन्हें विधानसभा का सदस्य नहीं माना जाएगा.