दिल्ली:
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अब तक के सबसे बड़े विभाजन का सामना कर रही है। हालांकि पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने संघर्षपूर्ण रुख अपनाया है, जिसके अब नतीजे भी दिखने लगे हैं। रविवार को शरद पवार की इच्छा के विरुद्ध जाकर भतीजे अजित पवार ने शिंदे-फडणवीस सरकार को समर्थन दिया और खुद उपमुख्यमंत्री बन गए।

इस शपथ ग्रहण समारोह में एनसीपी के कई विधायक मौजूद रहे। जबकि एनसीपी सांसद सुनील तटकरे और अमोल कोल्हे भी उपस्थित थे। लेकिन अजित दादा के नए डिप्टी सीएम बनने के कुछ ही घंटों के अंदर ही अमोल कोल्हे ने अपना रुख बदल लिया है और आज साफ कर दिया है कि वह शरद पवार के साथ ही रहेंगे। खबर है कि अजित पवार को समर्थन देने वाले कई अन्य एनसीपी विधायक भी पाला बदल रहे है।

शिरूर से एनसीपी के लोकसभा सांसद अमोल कोल्हे ने अपने राजनीतिक रुख को स्पष्ट करते हुए एक ट्वीट किया है, जिसमें कहा है, ‘जब दिल और दिमाग में जंग हो तो दिल की सुनो। शायद दिमाग कभी कभी नैतिकता भूल जाता है … पर दिल कभी नहीं।‘

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजित पवार के अगुवाई वाले खेमे की ओर से 30 से अधिक विधायकों का समर्थन होने का दावा किया गया है। जिसमें से अब चार विधायकों ने अचानक तटस्थ रुख अपना लिया है। जबकि कल तक अजित पवार का समर्थन करने वाले 9-10 विधायक अपना फैसला बलदने की तैयारी में है।