एस आर दारापुरी आईपीएस (से. नि.)

हाल में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड बयूरो द्वारा भारत में अपराध – 2023 रिपोर्ट काफी विलंब से जारी की गई है। इसमें दलितों के विरुद्ध अपराध के आँकड़े दर्शाए गए हैं। इन आंकड़ों के संबंध में यह जानना जरूरी है कि यह आँकड़े पूरी तस्वीर पेश नहीं करते हैं क्योंकि परंपरा के अनुसार बहुत सारे अपराध दर्ज ही नहीं किए जाते। इस के बारे में बहुत सारे आयोगों तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट 2007 में बहुत स्पष्ट अंकित किया गया है। आम धारणा यह है कि अपराध हो जाने पर थाने पर उसकी रिपोर्ट दर्ज कराना सबसे कठिन काम होता है। फिर भी जो आँकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड बयूरो द्वारा उक्त रिपोर्ट में दर्ज किए गए हैं उनके विश्लेषण से उत्तर प्रदेश के संबंध में यह पाया गया है कि उत्तर प्रदेश में दलितों पर अपराध राष्ट्रीय दर से काफी अधिक है। यह स्थिति तब है जब मुख्यमंत्री महोदय द्वारा आए दिन उत्तर प्रदेश के अपराध तथा अपराधी मुक्त होने का दावा किया जाता है।

उत्तर प्रदेश में 2011 की जनगणना के अनुसार दलितों (अनुसूचित जाति) की जनसंख्या 4.13 करोड़ थी जो उत्तर प्रदेश की कुल आबादी का 21.6% है। वैसे तो पहले भी उत्तर प्रदेश दलितों के विरुद्ध अपराधों में अग्रगणी रहा है। उक्त रिपोर्ट के आंकड़ों भी यह दर्शाते हैं कि उत्तर प्रदेश में दलितों पर अपराध राष्ट्रीय दर से अधिक है जैसा कि निम्नलिखित विश्लेषण से प्रदर्शित होता है:-

दलितों के विरुद्ध कुल अपराध: उक्त अवधि (2023) में कुल 15,130 अपराध घटित हुए जिसकी दर (अपराध प्रति एक लाख आबादी) 36.6 है जबकि राष्ट्रीय दर 29.2 है। इससे स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में दलितों पर अपराध की दर राष्ट्रीय दर से काफी अधिक है।

एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के अंतर्गत अपराध: उक्त अवधि में उत्तर प्रदेश में दलितों के विरुद्ध आईपीसी सहित एससी/एसटी एक्ट के 12,359 अपराध घटित हुए और अपराध की दर 29.9 थी जबकि राष्ट्रीय दर 27.1 रही थी। अतः यह आँकड़े भी दलितों पर राष्ट्रीय दर से अधिक अत्याचार होने को दर्शाते हैं।

हत्या का प्रयास: वर्ष 2023 में उत्तर प्रदेश में दलितों के विरुद्ध हत्या के प्रयास के 72 मामले घटित हुए और अपराध की दर 0.4 थी जबकि उक्त अपराध की राष्ट्रीय दर 0.2 थी। इस प्रकार उत्तर प्रदेश में दलितों के विरुद्ध हत्या के प्रयास के मामलों की दर राष्ट्रीय दर से दुगनी थी।

लैंगिक उत्पीड़न: उक्त अवधि में उत्तर प्रदेश में दलित महिलाओं के विरुद्ध लैंगिक उत्पीड़न के 203 अपराध हुए जिसकी दर 0.5 थी जबकि राष्ट्रीय दर 0.3 थी। इससे स्पष्ट है कि उक्त अवधि में उत्तर प्रदेश में दलित महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न के मामले राष्ट्रीय दर से अधिक रहे।

दलित महिलाओं को निर्वस्त्र करने का अपराध: उत्तर प्रदेश में उक्त अवधि में दलित महिलाओं को निर्वस्त्र करने के 95 अपराध घटित हुए जिसकी दर 0.2 थी जो राष्ट्रीय दर 0.1 से दुगनी थी।

दलित महिलाओं का अपहरण: वर्ष 2023 में उत्तर प्रदेश में दलित महिलाओं के अपहरण के 379 मामले हुए जिसकी अपराध दर 0.9 थी जो राष्ट्रीय दर 0.4 से दुगनी से अधिक थी। इससे उत्तर प्रदेश में महिलाएं खास करके दलित महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं, की जमीनी सच्चाई उजागर हो जाती है।

दलित महिलाओं का विवाह के लिए बाध्य करने हेतु अपहरण: उक्त अवधि में उत्तर प्रदेश में दलित महिलाओं का विवाह के लिए बाध्य करने हेतु अपहरण के 207 मामले हुए जिसकी अपराध दर 0.5 थी जो राष्ट्रीय दर 0.2 से दुगनी से भी अधिक थी। इससे से भी दलित महिलाओं के असुरक्षित होने की स्थिति प्रदर्शित होती है।

बलात्कार: उक्त अवधि में दलित महिलाओं के बलात्कार के 645 अपराध घटित हुए जिसकी अपराध दर 1.6 थे जो राष्ट्रीय दर 2.1 से कम थी। इस संबंध में यह भी ध्यान रखना होगा कि यह आँकड़े बहुत विश्वसनीय नहीं हैं क्योंकि काफी मामलों में तो पीड़िता ही थाने पर रिपोर्ट लिखाने नहीं जाती। दूसरे जो थाने पर जाती भी है वहाँ आसानी से रिपोर्ट लिखी भी नहीं जाती। बहुत सारे मामलों में पुलिस द्वारा जानबूझ कर पीड़िता की तुरंत डाक्टरी नहीं कराई जाती जिससे महत्वपूर्ण साक्ष्य नष्ट हो जाता है। काफी मामलों में पुलिस वाले प्रभावशाली बलात्कारियों से समझौता करने का दबाव बनाते हैं।

अन्य अपहरण: वर्ष 2023 में उत्तर प्रदेश में दलितों के अन्य अपहरण के 155 मामले हुए और अपराध की दर 0.4 थी जो राष्ट्रीय दर 0.1 से चार गुणा अधिक थी।

अपराधिक अभित्रास: उक्त अवधि में दलितों के विरुद्ध आपराधिक अभित्रास के 1505 मामले घटित हुए थे जिसकी अपराध दर 3.6 थी जो राष्ट्रीय दर 2.3 से 1-1/2 गुणा अधिक थी।

अन्य आईपीसी अपराध: वर्ष 2023 में उत्तर प्रदेश में दलितों के विरुद्ध अन्य आईपीसी के 5814 अपराध घटित हुए जिस की अपराध दर 14.1 थी जो राष्ट्रीय दर 8.6 से बहुत अधिक थी।

एससी/एसटी अत्याचार निवारण एक्ट के अपराध: उक्त अवधि में उत्तरप्रदेश में दलितों के विरुद्ध उक्त एक्ट के 2771 अपराध घटित हुए जिसकी अपराध दर 6.7 जो राष्ट्रीय दर 2.1 से तीन गुणा अधिक थी।

इरादतन अपमानित करना: समीक्षाधीन अवधि में दलितों को इरादतन अपमानित करने के 792 मामले घटित हुए जिस की दर 1.9 थी जो राष्ट्रीय दर 0.8 से दुगनी से अधिक थी। इससे परिलक्षित होता है कि उत्तर प्रदेश में दलित कितना अपमानित होते हैं।

अन्य अपराध: इस शीर्षक के अंतर्गत 1806 अपराध घटित हुए जिस की अपराध दर 2.4 थी जो राष्ट्रीय दर 1.2 से लगभग 4 गुना अधिक थी।

उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में दलितों के विरुद्ध गंभीर अपराध जैसे एससी/ एसटी एक्ट के अंतर्गत उत्पीड़न, हत्या का प्रयास, अपहरण, इरादतन अभित्रास तथा आईपीसी अपराध की दर राष्ट्रीय दर से काफी अधिक है। इसी तरह दलित महिलाओं के विरुद्ध लैंगिक उत्पीड़न, निर्वस्त्र करने, अपहरण, विवाह के लिए बाध्य करने हेतु अपहरण आदि के घटित अपराधों की दर राष्ट्रीय दर से बहुत अधिक है। यह तथ्य उत्तर प्रदेश सरकार के दलितों तथा महिलाओं के सुरक्षित होने के दावे को झुठलाता है।