टीम इंस्टेंटखबर
लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह ने अलीगढ़ खेर ब्लॉक में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि चेहरे बदलते रहे पर गांव की दशा नहीं बदली। श्री सिंह ने आगे कहा है कि प्रदेश में बेरोजगारी चरम पर है। जनता महंगाई की मार झेल रही है और सरकार चुने हुए प्रतिनिधियों का मानदेय और भत्ता बढ़ा रही है। वो भी तब जब चुनावी आचार संहिता जल्द ही लगने वाली है। चुनाव से पहले इन प्रतिनिधियों का भत्ता बढ़ाना सरकार का चुनावी रिश्वत है।

लोकदल अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने कोई वादा पूरा नहीं किया। चुनाव से पहले ग्राम प्रधान, बीडीसी, जिला और ग्राम पंचायत सदस्यों को अपने फेवर में रखने के लिए ही सरकार यह ऐलान कर रही है। लिहाजा सरकार इन्हें लालीपॉप दे रही है। सरकार और चेहरे पर चेहरे बदलते रहे हैं लेकिन गाॅंव और पंचायतों की स्थिति आज भी बदहाल है. इसी के साथ चैधरी सुनील सिंह ने कहा राष्ट्रीय पंचायती राज संगठन त्रिस्तरीय पंचायतीय राज संस्थानों एवं ग्राम सभाओं को सषक्त बनाते हुये उन्हे प्रशासनिक एवं वित्तीय अधिकार दिलाने के लिए सन् 1997 से संघर्षरत है। आजादी के बाद आज तक सरकारों पर सरकार और चेहरे पर चेहरे बदलते रहे हैं लेकिन गाॅंव और पंचायतों की स्थिति आज भी बदहाल है, क्योंकि कोई भी सरकार पंचायतों को उनके पूर्ण अधिकार सौपना नहीं चाहती।
गांधी जी के सपनों का भारत बनाने के उद्देश्य से संविधान का 73वां तथा 74वां संशोधन वर्ष 1993 में किया गया था और उसको लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर छोड़ दी गई थी। परन्तु आज 28 वर्षों बाद भी न तो पंचायतों को उनके पूर्ण अधिकार दिये गये और न ही कोई सरकार देना चाहती है।

सुनील सिंह ने कहा कि पंचायत प्रतिनिधि 90-95 प्रतिशत वोट पर चुनकर आता है जिसे ग्राम की जनता ने बड़े विशवास से चुना, परन्तु बड़ा ही दुःख का विषय है कि सरकार उनको उनका अधिकार देना ही नहीं चाहती। इतने सालों के बाद भी आज तक सत्ता के विकेन्द्रीकरण हेतु पंचायतों को वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार नहीं सौपे गये। इन वर्षों में विभिन्न राजनैतिक दलों की सरकारे रहीं, लेकिन विधायकों एवं नौकरशाह ने पंचायतों के अधिकारों का अतिक्रमण करते हुये 29 विभागों के अधिकार पंचायतों को नहीं सौंप पाये।

उन्होंने कहा कि हमारे संगठन द्वारा पंचायतों को उनके प्रशासनिक एवं वित्तीय अधिकार दिलाने के लिए अनेकों बार धरना प्रदर्शन /भूख हड़ताल आदि कर कुछ अधिकार तो दिलाये परन्तु आज भी पंचायतों को उनके पूर्ण अधिकार नहीं मिल पाये हैं। चौधरी सुनील सिंह ने सभा को सम्बोधित करते हुये सरकार से मांग की है कि सभी प्रधान/बी.डी.सी./सभासद व जिला पंचायत सदस्यों को भी प्रति माह मानदेय एंव भत्ते विधायक एवं सांसदो की तर्ज पर दिये जाये,नही तो सभी के भत्ते बंद कर दिये जाये। अगर विधायक व सांसद के मानदेय व भत्ते सरकार बंद कर दे तो प्रधान/बी.डी.सी. को भी कोई भत्ता नहीं चाहिए। परन्तु अगर देश व प्रदेश की सरकार विधायक व सांसद को भत्तों के नाम पर प्रदेश व देश की जनता का पैसा बांट रही है तो उसी अनुपात में सभी पंचायत प्रतिनिधियों को भी भत्ता मिलना चाहिए।

एक बार सांसद व विधायक बनने पर पूरी उम्र पेंशन मिलती है परन्तु कोई प्रधान या बी.डी.सी पूरी उम्र भी पद पर रहे तो उन्हे कुछ नही मिलता। या तो सभी सांसदो/विधायकों के भत्ते/पेंशन बंद कर दिये जाये नही तो सभी को भत्ते व पेंशन दिलाने की आवाज संगठन द्वारा उठाते रहेगें।