टीम इंस्टेंटखबर
एम्स के वरिष्ठ महामारी विज्ञानी डॉ संजय के राय ने केंद्र सरकार के बच्चों को कोरोना की वैक्सीन के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्‍होंने फैसले को ‘अवैज्ञानिक’ करार दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि इससे कोई अतिरिक्‍त फायदा नहीं होगा।

राय एम्स में वयस्कों और बच्चों पर ‘कोवैक्सीन’ टीके के परीक्षणों के प्रधान जांचकर्ता और इंडियन पब्लिक हेल्‍थ एसोसिएशन के प्रेसीडेंट भी हैं। उन्‍होंने कहा कि सरकार को इस कदम को उठाने से पहले उन देशों के आंकड़ों का विश्‍लेषण करना चाहिए था जहां पहले ही वैक्‍सीनेशन हो रहा है।

संजय के. राय ने प्रधानमंत्री कार्यालय को टैग करते हुए ट्वीट किया, “मैं राष्ट्र की नि:स्वार्थ सेवा और सही समय पर सही निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का बड़ा प्रशंसक हूं. लेकिन मैं बच्चों के टीकाकरण के उनके अवैज्ञानिक निर्णय से पूरी तरह निराश हूं।”

डाक्टर राय ने अपने नजरिये को स्पष्ट करते हुए कहा कि किसी भी हस्तक्षेप का मकसद होना चाहिए। इसका उद्देश्य या तो कोरोना संक्रमण या गंभीरता या मौतों को रोकना है। उन्‍होंने कहा, ‘लेकिन टीकों के बारे में हमारे पास जो भी जानकारी है, उसके अनुसार वे इन्‍फेक्‍शन को बड़ा नुकसान पहुंचाने में असमर्थ हैं। कुछ देशों में लोग बूस्टर शॉट लेने के बाद भी संक्रमित हो रहे हैं।

राय ने बताया, ‘ब्रिटेन में प्रति दिन 50,000 इन्‍फेक्‍शन की सूचना मिल रही है। इसलिए यह साबित होता है कि वैक्‍सीनेशन कोरोना संक्रमण को नहीं रोक रहा है। लेकिन, टीके गंभीरता और मौत को रोकने में प्रभावी हैं।’ उन्होंने कहा कि अतिसंवेदनशील आबादी में कोविड-19 के कारण मृत्यु दर लगभग 1.5 फीसदी है। इसका मतलब है कि प्रति 10 लाख आबादी पर 15,000 मौतें।

राय ने कहा, ‘टीकाकरण के माध्यम से हम इनमें से 80-90 फीसदी मौतों को रोक सकते हैं, जिसका मतलब है कि प्रति 10 लाख (जनसंख्या) में 13,000 से 14,000 मौतों को रोका जा सकता है।’

उन्होंने कहा कि टीकाकरण के बाद गंभीर साइड इफेक्‍ट भी देखने को मिले हैं। यह आंकड़ा प्रति दस लाख आबादी में 10 से 15 के बीच है। उन्होंने कहा कि बच्चों के मामले में संक्रमण की गंभीरता बहुत कम है। पब्लिक डोमेन में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, प्रति 10 लाख आबादी में केवल दो मौतों की सूचना मिली है।