जमीयत उलमा-ए-हिंद की मज़बूत कानूनी लड़ाई के बाद फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ से हटाए गए 61 आपत्तिजनक सीन
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की ओर से की गई तीन स्तरों (सेंसर बोर्ड, दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट) पर समयबद्ध और मज़बूत कानूनी लड़ाई के नतीजे में विवादित हिंदी फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ से कुल मिलाकर 61 आपत्तिजनक सीन हटाए गए हैं. अब फिल्म कल यानी 8 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी. फिल्म को लेकर मौलाना मदनी की सबसे बड़ी आपत्ति नूपुर शर्मा के उस बयान पर थी, जो उसने पैगंबर मुहम्मद साहब और उम्महातुल मोमिनीन (पैगंबर साहब की पवित्र पत्नियों) के बारे में दिया था. अब वो पूरा सीन फिल्म से पूरी तरह हटा दिया गया है.
गौरतलब है कि मौलाना मदनी की ओर से दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने उस अनसर्टिफाइड ट्रेलर का भी संज्ञान लिया था, जिसे फिल्म निर्माता ने गैरकानूनी तरीके से रिलीज़ कर दिया था. उसमें सिर्फ देवबंद का संदर्भ ही नहीं था, बल्कि नूपुर शर्मा का वो आपत्तिजनक बयान भी शामिल था, जो उन्होंने 2022 में दिया था.10 जुलाई को दिए अपने एक आदेश में दिल्ली हाई कोर्ट ने इस ट्रेलर के रिलीज़ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे.
मौलाना मदनी को पूरा यक़ीन है कि सरकार अब इन निर्देशों के मुताबिक फिल्म निर्माता पर उचित कार्रवाई करेगी. हालांकि सेंसर बोर्ड ने पहले 55 सीन को हटाने के बाद फिल्म को सर्टिफिकेट दे दिया था, लेकिन मौलाना मदनी की ओर से नूपुर शर्मा के बयान पर तीव्र आपत्ति के चलते 21 जुलाई को केंद्र सरकार ने भी हस्तक्षेप करते हुए उस सीन को हटाने का निर्देश दिया था.
अब सरकार ने और आगे बढ़ते हुए फिल्म से 5 और आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने की हिदायत दी है. यहां तक कि फिल्म के साथ जो डिस्क्लैमर दिखाया जाता है, उसमें भी संशोधन के आदेश दिए गए हैं. 6 अगस्त 2025 को जारी एक ताज़ा आदेश में ये साफ किया गया है कि नूपुर शर्मा के बयान से जुड़े अन्य आपत्तिजनक दृश्य भी फिल्म निर्माता ने स्वेच्छा से हटा दिए हैं. निस्संदेह ये एक बड़ी कानूनी जीत है.
फिल्म पर मुसलमानों की छवि को खराब करने का आरोप लगाया गया था और मौलाना मदनी ने इसकी कड़ी निंदा की थी. उसी के खिलाफ ये कानूनी कार्यवाही शुरू की गई थी. हालांकि अब फिल्म से सभी विवादित सीन हटा दिए गए हैं. मौलाना मदनी की ये भी अपेक्षा थी कि सरकार इस फिल्म का सर्टिफिकेट रद्द कर देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस पर टिप्पणी करते हुए मौलाना मदनी ने कहा, “महत्वपूर्ण बात ये है कि हमारे सभी आपत्तियों को सरकार ने जायज़ माना और फिल्म से न केवल वो सीन हटाए गए, जिन पर हमने आपत्ति की, बल्कि सरकार ने स्वयं अन्य सीन भी हटाने का निर्देश दिया.”
उन्होंने आगे कहा, “जब फिल्मों में मुसलमानों को गलत ढंग से दिखाने का एक ट्रेंड-सा बन गया है, तब इस फिल्म को लेकर लड़ी गई कानूनी लड़ाई और उसका नतीजा उन फिल्म निर्माताओं के लिए एक कड़ी चेतावनी है, जो ऐसी फिल्में बनाकर सांप्रदायिक ताकतों को खुश करने के इरादे से देश की एकता, भाईचारे और शांति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं.” उन्होंने अंत में कहा कि ये मामला एक बड़ा सबक है और इस बात की खुली घोषणा है कि ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ के नाम पर आप किसी व्यक्ति, समुदाय या कौम की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचा सकते.










