ट्रिपल तलाक़ बिल के विरोध में जयपुर में जमा हुए हज़ारों मुसलमान

ब्यूरो रिपोर्ट

जयपुर: ट्रिपल तलाक़ निषेध बिल आप अपनी ज़रूरतों के लिए ला रहे हैं। मुसलमानों की बेटी नहीं आपको 2019 के लोकसभा चुनाव का डर लग रहा है और आपको लगता है कि इस बिल के बहाने से आप वोटों का ध्रुवीकरण करके अपनी सत्ता बचा ले जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाएगा। यह बात आज राज्यसभा के पूर्व सांसद और धर्मगुरू मौलाना ग़ुलाम रसूल बलयावी ने कही। वह राजधानी में इस्लामी पत्रिका अहसास के बैनर पर विभिन्न संगठनों की तरफ़ से आयोजित शरीअत बचाओ कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे।

बलयावी ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव भ्रष्टाचार, घोटालों और आतंकवाद के विरुद्ध जीता था लेकिन वह इन मुद्दों पर काम नहीं कर रहे। उन्होंने कहाकि यह देश एक व्यक्ति की मर्ज़ी से नहीं चलेगा और गोडसे की नहीं बल्कि गांधी की विरासत पर चलेगा। पूर्व सांसद ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि वह अपना वैवाहिक संबंध नहीं निभा पाए तो ऐसे में मुस्लिम बेटियों के तलाक़ के मसले पर उनका पीड़ा व्यक्त करना महज़ दिखावा है। मौलाना बलयावी ने कहाकि वह बिहार के रहने वाले हैं और बंगाल, बिहार और झारखंड में एक आंदोलन शुरू कर चुके हैं कि जब निकाह सबके सामने हो तो तलाक़ लेने वाले जोड़ों को भी आगाह किया जा रहा है कि तलाक़ से बचें लेकिन आवश्यक हो तो निकाह की तरह उलेमा की मौजूदगी में शरीअत के मुताबिक़ खुले में तलाक़ लें। फिर भी कोई ज़बरदस्ती तीन तलाक़ दे रहा है तो वह उस पुरुष के सामाजिक बायकॉट की अपील कर रहे हैं। राजस्थान के मुस्लिम भी पत्नी को एकतरफ़ा एक सभा में तीन तलाक़ देने वाले पुरुष का बायकॉट शुरू करें।

सरकार हमें डराने की कोशिश ना करे- मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन

भारत में सूफ़ी उलेमा के सबसे बड़े संगठन ऑल इंडिया तंज़ीम उलामा ए इस्लाम के संस्थापक अध्यक्ष मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन क़ादरी ने कहाकि सरकार मुसलमानों को डराने की कोशिश ना करे। उन्होंने कहाकि हिन्दुत्व की प्रयोगशाला में तैयार कर रहे हिंसक लोगों पर रोकथाम नहीं लगाई गई तो हमारा हश्र भी पाकिस्तान जैसा हो जाएगा। मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन ने कहाकि तलाक़ से महिला का सामाजिक जीवन ख़तरे में पड़ जाता है और इस पर रोकथाम ज़रूरी है लेकिन जिस तरह सरकार तीन तलाक़ देने पर पुरुष को जेल भेजना चाहती है, उसी प्रकार बिना किसी सूचना और तलाक़ के अपनी पत्नी को छोड़कर जाने वाले को भी जेल होनी चाहिए।

क़ानून में विचित्र ख़ामियां मौजूद हैं- हबीब ख़ान गौराण

राजस्थान कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष हबीब ख़ान गौराण ने कहाकि संसद में प्रस्तावित मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकार की सुरक्षा) बिल में कई क़ानूनी ख़ामियाँ हैं। उन्होंने कहाकि यह बिल मानता है कि एक बार में दी गई तीन तलाक़ मान्य नहीं होगी तो इस कथित अपराध के लिए महिला के पति को तीन साल के लिए कैसे जेल भेजा जा सकता है? गौराण ने कहाकि जो अपराध ही नहीं हुआ, उसकी सज़ा कैसे दी जा सकती है? विवाह और तलाक़ एक सिविल मसला है जिसे केन्द्र सरकार फौजदारी बना रही है। इस क़ानून के पीछे सरकार की मंशा मुस्लिम परिवारों को संकट में धकेलना, अकेली महिला के भरण पोषण के लिए भटकाना और संतान के लिए संकट पैदा करने वाला है।

युवा सुधार अभियान चलाएंगे- मुफ़्ती ख़ालिद अय्यूब मिस्बाही

आयोजक और पत्रिका अहसास के संपादक ख़ालिद अय्यूब मिस्बाही ने कहाकि अधिकांश तलाक़ नशे की हालत में होती है। मिस्बाही ने कहाकि उनकी मैगज़ीन में इसपर ना सिर्फ़ विशेष सिरीज़ चलाई जाएगी बल्कि युवाओं के लिए नशामुक्ति अभियान भी चलाया जाएगा। उन्होंने कहाकि वह महिला आलिमों को प्रशिक्षण देंगे ताकि वह अधिक से अधिक युवा महिलाओं की रहनुमाई कर उन्हें शरीअत में प्रदत्त शक्तियों के बारे में बता सकें। उन्होंने मौजूदा क़ानून को बेकार बताते हुए इसे दुर्भावनापूर्ण और ग़ैर इस्लामी बताया। उन्होंने कहाकि तलाक़ के बाद अकसर जोड़ों को अपनी ग़लती का अहसास होता है और वह फिर साथ रहना चाहते हैं। इस क़ानून के बाद इसकी संभावनाएं समाप्त हो जाएंगी।

मुस्लिम युवा अमल करके दिखाएं- मौलाना उमर

अलवर से आए मौलाना मुहम्मद उमर ने कहाकि मुसलमानों को शरीअत की मंशा पर अमल करना चाहिए। इस्लाम में कहा गया है कि अल्लाह और उसके पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल) को सबसे नापसंद हलाल कर्म तलाक़ है। इससे मुसलमानों को बचना चाहिए।

मुद्दे की नासमझी से संकट आया- मुहम्मद हनीफ़

सुन्नी तबलीग़ी जमात के प्रमुख मौलाना मुहम्मद हनीफ़ ने कहाकि सही तलाक़ की प्रक्रिया की पालना नहीं होने से आज यह मसला दूसरे लोग हल करने के लिए खड़े हो गए हैं। यदि हम निकाह और परिवार के मसले इस्लाम की मंशा और ज्ञान के अनुरूप पूरा करें तो कभी संकट की परिस्थिति नहीं बनेगी।

राष्ट्रपति और सरकार के नाम ज्ञापन

सभा में मौजूद लोगों की राय से चार बिन्दु आधारित ज्ञापन तैयार किया गया जिसे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम रवाना किया गया। चार पेज के ज्ञापन में कहा गया है कि संसद में प्रस्तावित मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकार की सुरक्षा) बिल संविधान में प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के ख़िलाफ़ है और यह मूल अधिकार का हनन है। लोगों ने सरकार से मांग की कि इस बिल की बजाय मुस्लिम महिलाओं की आर्थिक तरक्की तय करने के लिए सरकार नीति और क़ानून बनाए।
इन लोगों ने भी रखे विचार

लाडनूँ के शहर क़ाज़ी सैयद अय्यूब साहब, जाविद क़ाज़ी, मुहम्मद आक़िल, डीडवाना के नायब शहर क़ाज़ी सादिक़ उस्मानी, मकराना के मौलाना अबरार हुसैन, शेरानी आबाद के मौलाना प्यार मुहम्मद, मौलाना अशरफ़, मौलाना इरफ़ान बरकाती, क़ारी वली मुहम्मद, सांगानेर से मुफ़्ती शाहनवाज़, मुफ़्ती ग़ुलाम मुस्तफ़ा, मौलाना हसन रज़ा, हाफ़िज़ फ़ारूक़, हाफ़िज़ मुहम्मद हुसैन, गुड्डू भाई, वाहिद यज़दानी, सलीम पटेल, इमरान शेख़ और क़ारी शकील अहमद ने भी अपने विचार व्यक्त किए।