नई दिल्ली: एक तरफ गोरक्षकों की गुंडागर्दी पर प्रधानमंत्री दो बार चिंता जाहिर कर चुके हैं तो दूसरी ओर उन पर नकेल कसने की जगह हरियाणा और उत्‍तराखंड सरकार उन्‍हें लीगल करने जा रही है. दोनों राज्‍यों में गोसेवा आयोग हैं. इसी के माध्‍यम से सरकार अब मान्‍यता प्राप्‍त गोरक्षक बनाने के लिए काम कर रही है.

हरियाणा गो सेवा आयोग के चेयरमैन भानीराम मंगला ने न्‍यूज18 हिंदी डॉटकॉम से बातचीत में बताया कि हर जिले से गोरक्षक बनने के लिए आवेदन मांगे गए थे. उनकी पुलिस वेरीफिकेशन होनी थी. यह काम चल रहा है. पुलिस तस्‍दीक के बाद आवेदनकर्ताओं को सरकार आईकार्ड जारी करेगी.

मंगला ने बताया कि नौ जिलों से 275 लोगों ने गोरक्षक बनने की इच्‍छा जताई थी. इनकी पुलिस जांच रिपोर्ट आ गई है. इसमें से करीब 80 गोरक्षक बनाए जाएंगे. अन्‍य जिलों की रिपोर्ट अभी आनी है. थाने स्‍तर से गोरक्षक बनने के लिए आवेदन करने वालों की पृष्‍ठभूमि की जांच हो रही है. ताकि यह पता चल सके कि कहीं आवेदन करने वाला आपराधिक गतिविधि में संलिप्‍त तो नहीं है.

मंगला दावा करते हैं कि मान्‍यता देने से गोरक्षा के नाम पर बढ़ रही गुंडागर्दी और मारपीट रोकने में मदद मिलेगी. इन गोरक्षकों के अलावा कोई और व्‍यक्‍ति जांच-पड़ताल नहीं कर पाएगा. गोरक्षकों की जानकारी सरकार के पास मौजूद रहेगी इसलिए कोई गलत करने की कोशिश नहीं करेगा.

उधर, उत्तराखंड में भी असली गोरक्षकों की पहचान करने की तैयारी की जा रही है. उत्तराखंड गो सेवा आयोग ने राज्य के सभी 13 जिलों के जिलाधिकारियों को कहा है कि एसपीसीए (जिला पशु क्रूरता निवारण समिति) की मदद से ऐसे लोगों की पहचान की जाए.

आयोग के अध्यक्ष नरेंद्र रावत कहते हैं कि ‘आयोग इन आई कार्ड को गो रक्षकों के आधार से लिंक भी करेगा ताकि किसी की पहचान को लेकर कोई दुविधा न रहे’.