लखनऊ: नबी-ए-अव्वल हज़रत आदम अ0स0 से नबी आखि़रूज़्ज़मां हज़रत मोहम्मद स0अ0 तक सारे अम्बिया-ए-केराम गुलदस्त-ए-कमालात हैं, जिनके रंग व बू से आलम फै़ज़याब हो रहा है और जिनके आमाल व अक़वाल से कायनात का ज़र्रा-ज़र्रा मुस्तफ़ीद है। उन तमाम अम्बिया ने एक अल्लाह की इबादत और इसी से अपनी तमाम हाजात तलब करने की तालीम दी और शिर्क व बिदआत व खुराफ़ात से परहेज़, नीज़ खुराफ़ाते ज़माना से गुरेज़ की तलक़ीन की ताकि अल्लाह के महबूब बन्दों में शुमार हो और नेक, मुत्तक़ी व परहेज़गार बन्दा हक़ीक़ी मानों में आबिद व ज़ाहिद कहलाये, इसका तज़केरा करते हुए महफि़ले नूर में मुक़र्रेरीन ने आबिद और माबूद के उनवान से क़दीम सालाना महफि़ले तबलीग़े दीन में तालीमाते दीने हक़ पर रौशनी डालते हुए कहा कि नबी आखि़र उल ज़मां स0अ0 पर दीने हक़ की तकमील होने के साथ परवररिगारे आलम ने कुरआने हकीम की सूरए आले इमरान में इरशाद फ़रमाया कि ऐ मोहम्मद आप फ़रमा दीजिये कि अगर तुम्हें अल्लाह तआला से सही मानों में मोहब्बत है तो मेरी इताअत करो, अल्लाह तुम्हें महबूब बना देगा। लिहाज़ा महबूबे इलाही बनने के लिये सीधा रास्ता रब्बे कायनात ने अतीउल्लाह व अतीउर्रसूल क़रार दिया है कि वो ही ज़रियए नजात है। निज़ामबाग चैपटियां में मिल्ली तन्ज़ीम सुन्नी बोर्ड आॅफ इण्डिया के जे़रे एहतेमाम होने वाली महफि़ले पाक में तन्ज़ीम के सद्र मिस्टर शहाबउद्दीन ख़ान के अलावा मौलाना कफ़ील अहमद, क़ारी अब्दुल्लाह और हाजी सलाहउद्दीन व यूनुस रहमानी इलाहाबाद ने सीरते पाक पर रौशनी डाली और सुन्नतों को अपने अमल में लाने की तलक़ीन की, नीज़ सलाम राएज करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया ताकि बाहम मोहब्बतों को फ़रोग़ हासिल हो और नफ़रत व अदावत का ख़ात्मा हो सके। महफि़ले नूर में मारूफ़ नौजवान शायर मिस्टर रफत शैदा सिद्दीकी के अलावा बुजुर्ग शोअराए कराम मोहम्मद उस्मान आज़म और हमसर मोहानी व सूफ़ी शाह कलीम उल्लाह कलीम लखनवी ने हम्द व नात व मदहे सहाबा का कलाम पेश किया और मुसलमानों से बाहम मुत्तहिद रहने और तफ़रिक़ा न करने की अपील की और इस्लाम से अपनी शिनाख़्त बना कर नेक अमल से आलाए कलेमतुल हक़ व इत्तेहादे बैनुल मुस्लेमीन की तलक़ीन की। ये जलसा जनाब हिसामुद्दीन साहब की सरपरस्ती में मुनअकि़द हुआ।