लखनऊ: दरगाह हज़रत मख़दूम शाहमीना शाह रहमतुल्लाह अलैह में मीनाई एजुकेशनल वेलफ़ेयर की जानिब से ग्यारह रोज़ा जश्ने ईद मीलादुन्नबी सल्लल्लाहो तअ़ाला अलैहे वसल्लम मुनअ़कि़द किया गया। प्रोग्राम का आग़ाज़ क़ारी नियाज़ अहमद की तिलावते क़ुरान से हुआ। 

आलमगीर, ख़लील अख़्तर, नूर मोहम्मद ने हुज़ूर की बारगाह में खि़राजे अक़ीदत पेश की। मुक़र्रिरे ख़ुसूसी हज़रत मौलाना मोहम्मद इक़बाल प्रिंसिपल दारुल उलूम वारिसिया ने खि़ताब करते हुए कहा कि सरकारे दो आलम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की आमद का दिन मोमिनीन के लिए सबसे बड़ी ख़ुशी का दिन है ऐसे मौक़े पर रोशनी करना, घरों को सजाना, रास्ते व गली कूचों को सजाना भी नबी से मुहब्बत की दलील है। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो दुनिया को कैसे पता चलेगा कि आज मोहसिने इन्सानियत की पैदाइश का दिन है। हर दौर में पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की आमद पर लोग ख़ुशियां मनाते रहे सिर्फ़ तरीक़ा बदलता रहा और कहा कि अल्लाह तबारक तअ़ाला क़ुराने करीम में अपने बन्दों से इरशाद फ़रमाता है कि अगर तुम मुझ से बात करना चाहते हो या मेरे दीदार के मुश्ताक़ हो तो मेरे महबूब से मोहब्बत करो। 

जलसे की सदारत दरगाह शाहमीना के मुतवल्ली पीरज़ादा शैख़ राशिद अली मीनाई ने की और निज़ामत के फ़रायज़ क़ारी मोहम्मद अजमल इमाम शाहमीना ने की। बाद सलातो सलाम व दुआ तबर्रुक तक़सीम होकर जलसे का इखि़्तताम हुआ।