युवा मंच की प्रदेशस्तरीय वर्चुअल मीटिंग में प्रदेश में रिक्त पड़े 5 लाख पदों को भरने के मुद्दे पर लखनऊ (ईको गार्डेन) में बेमियादी धरना का फैसला लिया गया। मीटिंग में हुए गंभीर विचार विमर्श में नोट किया गया कि प्रदेश में भयावह होती जा रही बेकारी के हल के लिए योगी सरकार से कतई उम्मीद नहीं है। सरकारी मशीनरी व मीडिया का बेजा इस्तेमाल कर किये जा रहे प्रोपैगैंडा की असलियत प्रदेश का युवा समझ रहा है और अब इनके न तो झांसे में आने वाला है और न ही इनकी धमकियों से डरने वाला है। रोजगार अधिकार हासिल करने के लिए शांतिपूर्ण ढ़ंग से आवाज उठाने का लोकतांत्रिक हक है और इसे कोई नहीं छीन सकता है।

गरिमामय आजीविका की गारंटी सरकार की संवैधानिक जवाबदेही है। लेकिन प्रदेश व देश में भाजपा की जनविरोधी नीतियों से बेकारी की भयावह स्थिति पैदा हुई है। हालात इतने बदतर हैं कि एमबीए-एमटेक पास हजारों युवतियां आंगनबाड़ी जैसी मानदेय की कैजुअल नौकरी के लिए आवेदन कर रही हैं। ग्रामीण इलाकों में युवाओं को मनरेगा तक में काम नहीं मिल रहा है। मैन्युफैक्चरिंग, सेवा क्षेत्र, कंस्ट्रक्शन से लेकर एमएसएमई तक हर सेक्टर में रोजगार में चौतरफा गिरावट है लेकिन योगी सरकार प्रदेश में 4 करोड़ रोजगार सृजन का दावा कर रही है।

इसी तरह शिक्षा विभाग समेत प्रदेश के हर विभाग में 30-70 फीसद तक पद रिक्त पड़े हैं। इन्हें अरसे से भरा नहीं गया है। अकेले प्राथमिक विद्यालयों में 2 लाख से ज्यादा रिक्त पद हैं, योगी सरकार के कार्यकाल में प्राथमिक शिक्षकों की रिक्त पदों की संख्या बढ़ी है लेकिन जो वादा किया गया था 97 हजार प्राथमिक शिक्षक भर्ती का, उससे सरकार मुकर रही है। पुलिस-2015, जूनियर परिषदीय-2013, बीपीएड-2015 से लेकर तमाम भर्तियां अधर में हैं। तकनीकी संवर्ग में अमूमन भर्ती प्रक्रिया ठप्प है। चाहें आईटीआई, पालीटेक्निक, इंजीनियरिंग कॉलेज में शिक्षकों के पद हों या विभागों में तकनीशियन, अवर अभियंता व अभियंताओं के पद हों, 70 फीसद तक रिक्त पड़े हुए हैं।

यूपीपीसीएल में 2019 में जो तकनीशियन के 4102 पदों का विज्ञापन जारी किया गया था, उसे भी रद्द कर दिया गया। कुछ भर्तियों के लिए जो विज्ञापन भी जारी हुए हैं, उनके 5 साल से परीक्षाओं तक को आयोजित नहीं किया गया है। वूमेन हेल्पलाइन की महिलाओं को ही बाहर कर दिया गया। कंप्यूटर विषय के बावजूद माध्यमिक विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षक नहीं हैं। सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 40 हजार अधियाचन के बावजूद महज 15 हजार पदों पर विज्ञापन जारी किया गया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद तदर्थ शिक्षकों के पदों को विज्ञापन में जोड़ा नहीं जा रहा है।

पीईटी के नाम पर चयन प्रक्रिया को जटिल बनाया जा रहा है और तानाशाही का आलम यह है कि 10-15 लाख युवाओं में आवेदन से ही वंचित कर दिया गया। इसी तरह वादा किया गया था पारदर्शी चयन प्रक्रिया का, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में शिक्षा माफियाओं की दखलंदाजी बढ़ती जा रही है।

ऐसे में युवाओं में योगी सरकार के विरूद्ध रोष है और शांतिपूर्ण ढंग से युवा अपनी आवाज उठा रहे हैं। लेकिन सरकार युवाओं की आवाज को कुचलने पर आमादा है और प्रदेश में तानाशाही कायम है। ऐसे हालात में युवाओं की व्यापक एकजुटता ही इनका मुकाबला कर रोजगार का अधिकार हासिल हो सकता है।

रोजगार का सवाल आगामी चुनाव में प्रमुख मुद्दा बने जिससे किसान प्रश्न की तरह रोजगार का सवाल भी राष्ट्रीय विमर्श में स्थापित हो और सरकार को इसके हल के लिए बाध्य किया जा सके। इसी उद्देश्य के लिए लखनऊ में 9 अगस्त से बेमियादी धरना शुरू किया जा रहा है, इसके साथ प्रदेश भर में युवा अभियान भी चलायेंगे। मीटिंग में दो दर्जन से ज्यादा प्रतिनिधियों से विचार विमर्श में हिस्सा लिया और अपने विचार व सुझाव रखे।