हालांकि इस्लामी जगत के लिए इमारात की ओर से अपने ही ख़िलाफ़ गोल करना अप्रत्याशित नहीं था लेकिन उसका यह क़दम इस समय ट्रम्प के लिए सबसे बड़ा तोहफ़ा है कि वे विदेश नीति की दृष्टि से ख़ाली पड़ी अपनी झोली को किसी हद तक भर लें। ट्रम्प ने इस सहमति की घोषणा करते समय इसे ऐतिहासिक बताया। शायद इसकी वजह यह है कि संयुक्त अरब इमारात का ख़ंजर वह पहला ख़ंजर है जो पूरी दुनिया के मुसलमानों के सत्तर साल से जारी प्रतिरोध के बाद उनकी पीठ में घोंपा गया है।

संयुक्त अरब इमारात ने इससे पहले इस्राईल से संबंध स्थापित करने का काम विभिन्न स्वरूपों में शुरू किया था, जैसे स्पोर्ट्स, पर्यटन, एयरपोर्ट सेवाओं इत्यादि के क्षेत्र में इस्राईल से सहयोग पहले ही आरंभ कर दिया था लेकिन ऐसे हालात में ज़ायोनी शासन को मान्यता देने का मतलब, जब एक ओर क्षेत्र में उसकी स्थिति बड़ी ख़राब हो चुकी है और दूसरी तरफ़ नेतनयाहू को आंतरिक संकटों का भी सामना है, यही है कि मुहम्मद बिन ज़ायद, इमारात के शासक की गद्दी पर बैठने के लिए किसी भी रेड लाइन को लांघने के लिए तैयार हैं और ज़ाहिर सी बात है कि अमरीका व इस्राईल के समर्थन के बाद उनके लिए शासक बनना काफ़ी आसान होगा।

बड़ी आसान से अनुमान लगाया जा सकता है कि इस्राईल के साथ संबंधों की स्थापना की लाइन में सऊदी अरब व बहरैन भी खड़े हुए हैं और उन्होंने भी संयुक्त अरब इमारात का भरपूर साथ दिया होगा। ट्रम्प के शब्दों में इमारात ने संबंधों पर जमी हुई बर्फ़ को तोड़ दिया है। दूसरे शब्दों में यह देश, इस्लामी जगत की पिछली एक शताब्दी की सबसे कड़वी घटना को अस्तित्व में लाने में इमारात सबसे आगे हो गया है और अब दूसरों की बारी है कि वे इस कारवां से पिछड़ न जाएं। सऊदी अरब के युवराज मुहम्मद बिन सलमान के एक निकटवर्ती अधिकारी ने इससे पहले कहा भी था कि बिन सलमान, फ़िलिस्तीनी प्रशासन के प्रमुख महमूद अब्बास को पहले ही इस तरह के दिनों की सूचना दे चुके थे।

अब अगर कुछ और इस्लामी देश अपने जनमत की अनदेखी करते हुए इस्राईल से संबंध स्थापित कर लेते हैं तो यह बात बहुत अप्रत्याशित नहीं होगी और जैसा कि कहा गया, संभावित रूप से सऊदी अरब और बहरैन इस मामले में दूसरों से आगे रहेंगे। हालांकि इन देशों के शासकों को शायद इस बात की ख़बर नहीं है कि वे अमरीका के सहारे अपनी राजगद्दी सुरक्षित रखने के लिए जो काम कर रहे हैं, उससे उनके नीचे से तख़्त खिसकने के प्रक्रिया ज़्यादा तेज़ हो जाएगी और वे अपनी जनता के हाथों ही अपमानित हो कर राजगद्दी से उतार दिए जाएंगे।

साभार–HN