तेहरान: ईरान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके संयुक्त अरब इमारात और इस्राईल के बीच कूटनैतिक संबंधों की स्थापना की कड़ी निंदा की है और इसे अबू धाबी और तेल अवीव की ओर से एक बड़ी मूर्खता बताया है जिसका नतीजा क्षेत्र में प्रतिरोध के मोर्चे की मज़बूती होगा।

बयान में ज़ोर देकर कहा गया है कि फ़िलिस्तीन की अत्याचारग्रस्त जनता और दुनिया के सभी आज़ाद राष्ट्र कभी भी इस्राईल की अपराधी व अवैध क़ब्ज़ा करने वाली सरकार के साथ संबंध स्थापना और इस सरकार के अपराधों में भागीदारी को कभी भी क्षमा नहीं करेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि निश्चित रूप से फ़िलिस्तीन की पवित्र धरती और मुसलमानों के पहले क़िब्ले की आज़ादी के लिए पिछले सात दशकों में ज़ायोनियों द्वारा बहाया गया फ़िलिस्तीनियों का ख़ून कभी न कभी फ़िलिस्तीन से विश्वासघात करने वालों का दामन पकड़ कर रहेगा।

ईरानी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, जाली, अवैध और अमानवीय ज़ायोनी शासन के साथ संबंध स्थापना के अबू धाबी के शर्मनाक क़दम को एक ख़तरनाक क़दम मानता है और फ़ार्स की खाड़ी के क्षेत्र के मामलों में ज़ायोनी शासन के किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप के संबंध में चेतावनी देते हुए कहता है कि इमारात की सरकार और इस मामले में उसका साथ देने वाली अन्य सरकारों को इस क़दम के सभी परिणामों का जवाब देना होगा।

विदेश मंत्रालय के बयान में विश्वास जताया गया है कि इतिहास यह बात अवश्य दिखाएगा कि किस तरह ज़ायोनी शासन की ओर से इस रणनैतिक ग़लती और इमारात की ओर से फ़िलिस्तीनी जनता बल्कि सभी मुसलमानों की पीठ में घोंपे गए इस ख़ंजर का परिणाम विपरीत निकलेगा और इससे प्रतिरोध का मोर्चा अधिक मज़बूत होगा और ज़ायोनी शासन और क्षेत्र की रुढ़िवादी सरकारों के ख़िलाफ़ एकता व एकजुटता चरम पर पहुंच जाएगी। इस बयान के अंत में अपने शीशे के महलों से फ़िलिस्तीनी जनता और यमन जैसे क्षेत्र के अन्य अत्याचारग्रस्त लोगों के चेहरों पर खरोंच मारने वाले शासकों को नसीहत की गई है कि वे संभल जाएं और अपने दोस्तों व दुश्मनों को समझने में ग़लती न करें।