लखनऊ : लखनऊ के पारा थाने की घटना जो सरोसा गांव की है जिसमें एक नाबालिग दलित बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी गई थी और इस मामले में शासन प्रसाशन साफ तौर से उदासीन दिखाई दे रहा था और पुलिस भी इस मामले को रफादफा करने में लगी रही जिसको लेकर लक्ष्य की महिला कमांडरों ने जोरदार मोर्चा खोला और शासन प्रशासन को उनके सामने झुकना पड़ा ।

इसी मामले में लक्ष्य की महिला टीम बराबर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए लगी हुई है । इसी कड़ी में आज ( दिनांक 5 सितम्बर) लक्ष्य कमांडर्स पीड़ित परिवार को लेकर मुख्यमंत्री आवास पर गए तो वहां पर तैनात पुलिस वालों ने कहा कि वे अपना शिकायत पत्र उनके कार्यालय जो लखनऊ के लोक भवन में स्थित है, वहां जमा कर सकते है। जैसे ही लक्ष्य की महिला कमांडर वहां पहुंची तो तुरंत वहां भारी तादात में पुलिस बल तथा मीडिया कर्मी पहुंच गए और सभी कमांडरों को बिना कारण के हिरासत में ले लिया और कई किलोमीटर दूर “मान्यवर कांशीराम जी इको गार्डन” धरना स्थल में ले गए और जहाँ उनको लगभग चार घंटे तक बैठाए रखा तथा जब पुलिस आला अधिकारीयों के पास अन्य लक्ष्य कमांडरों के फ़ोन आने लगे तो उनको अनहोनी की आशंका हुई तो तुरंत आनन-फानन में सभी कमांडरों को छोड़ दिया गया ।

लक्ष्य कमांडरों ने शासन प्रशासन के इस रवैये पर दुःख प्रकट करते हुए कहा कि उनको अपनी जातीय मानसिकता को बदलना होगा । उन्होंने कहा कि लक्ष्य की टीम किसी भी चुनौती का मुकाबला करने के लिए तैयार है। हम बहुजन समाज के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहेंगे ।

लक्ष्य कमांडरों ने चेताते हुए कहा कि संविधान से बढ़कर शासन व प्रशासन नहीं हो सकता है और अब अम्बेडकरवादी आंदोलन को दबाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है क्योंकि बहुजन समाज अपने परिवर्तन की करवट बदल रहा है ।

इतना सब होने पर उनके साथ में पुलिस की गाड़ी लगाई गई ताकि वो अपने घरों तक सुरक्षित पहुंच सकें।

लक्ष्य की इस टीम में पीड़ित परिवार के साथ लक्ष्य कमांडर रेखा आर्या, चेतना राव, विजय लक्ष्मी गौतम, नीलम चौधरी,रूबी गौतम, रश्मि गौतम और लक्ष्य युथ कमांडर अखिलेश गौतम, राहुल गौतम, राज व धर्मराज गौतम शामिल रहे ।