लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ।यूपी की सियासत में पिछले कई दसको से हाशिए पर रही कांग्रेस कही सियासी आमूल चूल परिवर्तन कर यूपी की सियासत को अपने इर्दगिद न कर ले कांग्रेस , एक ज़माना था कि भारतीय जनता पार्टी यूपी में हाशिए पर थी और आज सत्ता में है , मज़बूती इतनी जो चाह रही है वही कर रही है किसी को डरा रही है तो वह डर जा रहा है जो डर नही रहा उसको मुक़दमे लाद कर जेल की सलाखों के पीछे डाल दे रही है। पिछले तीस साल से सत्ता और विपक्ष का आनन्द ले रही यूपी के मुख्य विपक्षी दल सपा एवं बसपा है लेकिन आज जो हालात है उसकी लड़ाई सिर्फ़ कांग्रेस लड़ रही है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि यूपी में कांग्रेस को मज़बूत किए बिना देश की सत्ता पर क़ाबिज़ होना असंभव सा हो गया है इसी को केन्द्र में रखते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को यूपी जैसे बड़े राज्य का प्रभारी बनाकर भेजा उसी का नतीजा है कि आज कांग्रेस यूपी में मुख्य विपक्ष की भूमिका में दिखाई पड़ने लगी है।

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी मोदी की भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरने का कोई मौक़ा नही छोड़तीं है और योगी सरकार भी प्रियंका गांधी के हमलों का तत्परता से पलटवार करती हैं हालाँकि योगी सरकार प्रियंका गांधी के दबाव में कोई न कोई ऐसा क़दम उठा लेती है जिससे पब्लिकली यह संदेश चला जाता है कि कांग्रेस ही प्रदेश में योगी की हिटलरशाही के ख़िलाफ़ लड़ रही है और कांग्रेस को यूपी में संजीवनी मिल जाती है अब सवाल यह उठता है कि क्या मोदी की भाजपा की यह रणनीति है कि यूपी में कांग्रेस को मज़बूत किया जाए और क्षेत्रीय दलों को कमज़ोर किया जाए या योगी सरकार प्रियंका गांधी की गुगली में फँस जाती है।

उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चेयरमैन शाहनवाज़ आलम को गिरफ़्तार कर कांग्रेस को एक बार फिर सड़क पर उतरने को विवश किया जैसे कोविड-19 के चलते पैदल चल रहे मज़दूरों को कांग्रेस ने बसों से भेजने के लिए राजस्थान सरकार से बसें लेकर यूपी सरकार को देनी चाहीं लेकिन योगी सरकार ने कांग्रेस के इस प्रस्ताव को स्वीकार नही किया और उनके प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को जेल भेज दिया इसके विरोध में कांग्रेस ने आंदोलन किया हर रोज़ कोई न कोई नेता प्रेस कान्फ्रेंस कर योगी सरकार को घेरता है |

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इतना ही नही कांग्रेस ने ग़रीबों को खाना भी खिलाया प्रदेश कांग्रेस के दफ़्तर से लेकर प्रत्येक ज़िले में कांग्रेस ने रसोई चलाकर ग़रीबों की मदद भी की अजय कुमार लल्लू की रिहाई की माँग भी करते रहे गिरफ़्तारियाँ भी दी आख़िरकार अदालत से अजय कुमार लल्लू को ज़मानत मिली तब जाकर रिहा हुए। नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ भी कांग्रेस ने खूब लड़ाई लड़ी जिसके चलते कांग्रेस जनता में चर्चा का विषय बनीं रही इस पूरे आंदोलन से या अन्य मुद्दों से बसपा-सपा ग़ायब थी बसपा की बात अलग है उसका वोटबैंक अपना है लेकिन सपा का वोटबैंक मुसलमान को माना जाता है जो वास्तव में है भी ग़लत भी नहीं है कि मुसलमान को सपा का वोटबैंक नही बल्कि बँधवा मज़दूर माना जाता है इसके बावजूद भी सपा के मालिक अखिलेश यादव ख़ामोश है उनकी ख़ामोशी कही सपा की कमज़ोरी न बन जाए जैसे पश्चिम उत्तर प्रदेश की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल आज हाशिए पर है कही सपा कंपनी भी ऐसी ही न बन जाए उसकी सबसे बड़ी वजह मुसलमान माना जा रहा कि अगर मुसलमानों ने सपा से करवट ली तो सपा को राष्ट्रीय लोकदल बनने से कोई रोक नही पाएगा अब इसकी संभावना प्रबल दिखाई दे रही है|

मुसलमानों के करवट लेने पर उनके पास कांग्रेस और बसपा ही होंगे जिसमें से उसे एक को चुनना होगा समझा जाता है मुसलमान बसपा को पंसद नही करता उसकी बहुत सी वजह है कही इसमें बसपा सुप्रीमो ज़िम्मेदार है तो कही मुसलमान भी मनुवादी एवं मनुस्मृति का शिकार है वह भी दलित को उसी नज़रिये से देखता है जिस तरह दूसरे लोग जबकि इस्लाम इस बात की इजाज़त नही देता और न ही सियासी तक़ाज़ा लेकिन फिर भी वह अपने ख़ूनी रिश्तों से मजबूर है ख़ैर इस पर फिर कभी चर्चा करेगे।हालाँकि मोदी की भाजपा की केन्द्र सरकार नोटबंदी , जीएसटी ( व्यापार बंदी ) एवं देशबंदी (लॉकडाउन) और अब चीन , नेपाल , भूटान , बांग्लादेश एवं श्रीलंका जैसे गंभीर इंशू पर कोई ठोंस रणनीति बनाती नही दिख रही है नोटबंदी ने देश की अर्थ व्यवस्था को कमज़ोर कर दिया था जब नोटबंदी की थी यह कहा गया था कि बहनों भाईयों मुझे पचास दिन दे दो अगर इस क़दम से आतंकवाद खतम नही हुआ और कालाधन ख़त्म न हुआ तो मुझे जिस चौराहे पर आप कहेंगे मैं हाज़िर रहूँगा लेकिन आज कोई भी उस चौराहे की बात करने को तैयार नही है न आतंकवाद रूका न कालाधन ख़त्म हुआ सबकुछ वैसा ही है , बिना सोचे समझे ही जीएसटी को लागू करने से व्यापार और व्यापारी तबाह हो गया जीएसटी में कई सौ बार संशोधन किया जा चुका है लेकिन अभी भी सही नही है जिस क़ानून में कई सौ बार संशोधन करना पड़े इसका मतलब बिना बातचीत के बनाया गया है जिसका परिणाम हमारे सामने है|

इसी तरह बिना सोचे समझे देश में लॉकडाउन लागू कर देने से जो जहाँ था वही रूक गया रूकना भी चाहिए था लेकिन सरकारों की ज़िम्मेदारी बनती थी कि उनके खाने पीने का प्रबंध किया जाता जो नही किया गया जिसकी वजह से जो जहाँ था वहाँ से पैदल या जिसके पास जो साधन था निकल गया फिर उन्होंने कैसे-कैसी कठिनाईयों से गुजर कर अपने-अपने ठिकानों पर पहुँचे यह हम सबने देखा सरकार ने छोड़ दिया उनको अपने हाल पर अगर आमजन उनकी मदद को आगे न आया होता तो और भयावह हालात होते इससे इंकार नही किया जा सकता है रही बात विदेश नीतियों की वह भी सही नज़र नही आ रही है हमारे आस पास के देश हमें एक तरीक़े से घेरने की कोशिश कर रहे है जिन्हें चीन उकसा रहा है और हम कुछ बोल ही नही रहे चीन पाकिस्तान की बात को छोड़ दिया जाए वह तो हमारे दुश्मन है वह अगर हमारे देश के ख़िलाफ़ षड्यंत्र रचते है उसका हम कूटनीतिक तरीक़े से या किसी ओर तरीक़े से जवाब देंगे देते भी है और आगे भी देंगे लेकिन क्या यह हमारी विदेश नीति पर सवाल नही खड़े करती कि नेपाल, भूटान, श्रीलंका हमारे साथ किन्तु परन्तु करे बांग्लादेश भी ऐसी बातें कर रहा है यह सब हालात भी कांग्रेस पर विचार करने के लिए कह रहे है अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि जब क्या हालात होंगे फ़िलहाल मोदी-योगी को कड़ी टक्कर कांग्रेस की तरफ़ से मिल रही है जो मोदी की भाजपा के साथ बसपा सपा की सेहत के लिए ठीक नही है।