Tauseef Quraishi, senior journalist

यूपी कांग्रेस में अध्यक्ष पद से BSP कॉडर के ख़ाबरी को हटाने के बाद मीडिया विभाग के चेयरमैन पद से एक वक्त के दिग्गज बसपाई नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी की भी छुट्टी कर दी गई है।तो क्या कांग्रेस का BSP से आये नेताओं से मोह भंग हो गया है ? या कोई उन्हें पर्दे के पीछे से हटवा रहा है ? सूत्र यह भी बता रहे हैं कि नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी की सपा में जाने की तैयारी है लोकसभा चुनाव आने या होने तक सियासी मिज़ाज के लोग इधर-उधर भागने लगते हैं किसी को पार्टी हटा देती हैं तो किसी का पार्टी में दम घुटने लगता है लेकिन कांग्रेस में आज कल जो कुछ हो रहा है उसको इंडिया गठबंधन में बसपा को शामिल करने या कराने को लेकर देखा जा रहा है बसपा अपने विश्वासघातियों के रहते बात नहीं कर रही हैं इस लिए ऐसा हो रहा है बसपा भी कांग्रेस के विश्वासघातियों से किनारा कर रही हैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक ज़िले के नेता से बसपा ने भी किनारा कर लिया है उस नेता को हर चुनाव में कपड़ों की तरह पार्टी बदलने की आदत हैं उसी के चलते अब वह कांग्रेस में जुगाड़ लगा रहे हैं ख़ैर यह तो पार्टियों में चलता रहता है कोई आता है तो कोई जाता है यही वजह है कि पार्टियों से विचारधारा ख़त्म हो गई हैं और ग़ैर विचारधारा के इबनुलवक्त नेता जब ज़रूरत समझते हैं आ जाते हैं और जब ज़रूरत नहीं होती चले जाते हैं निष्ठावान कार्यकर्ताओं का सियासत से सफ़ाया हो गया है निष्ठावान कार्यकर्ताओं की कद्र नहीं होती इस लिए लोग उनसे प्रेरणा लेते हैं कि इसका क्या हुआ है निष्ठावान कार्यकर्ता रहकर वह ठीक रहा वहाँ उसको यह पद मिला फिर उसको छोड़कर दूसरे दल में गया तीसरे में गया मतलब कपड़ों की तरह दल बदलने वाले बढ़िया रहे हैं इस लिए विचारधारा ख़त्म हो गई हैं।सीधा और सरल सवाल!

क्या आज कांग्रेस को विश्वासघातियों की जरूरत है ? राहुल गांधी ने अपनी पदयात्रा, मणिपुर दौरे, लद्दाख से कांग्रेस को वहां पहुंचा दिया की 26 दलों का गठबंधन INDIA उनके साथ है।कांग्रेस के लिए सर्वश्रेष्ठ समय! विश्वासघातियों को निकाल कर बाहर करें। अवसरवादियों से दूरी बनाकर अपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं को मज़बूत करें उन्हीं को चुनाव लड़ाए वह बुरे वक़्त में पार्टी के लिए संघर्ष करेगा भागेगा नहीं उससे एक संदेश जाएगा कि पार्टी में ही रहकर कार्य करना है और अवसरवादी मौक़ा लगते ही धोखा देंगे।ऐसे अवसरवादियों से कहना चाहिए कि पार्टी में शामिल तो कर लिया जाएगा लेकिन कोई पद या टिकट नहीं दिया जाएगा पाँच साल तक अगर यह मंज़ूर हो तो आ जाओ वरना कोई एंट्री नहीं होगी।उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका गांधी ने कहा भी था जब 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान इबनुलवक्त नेता कांग्रेस से भाग रहे थे कि बुरे दौर में पार्टी को छोड़कर जाने वालों की पार्टी में एंट्री नहीं होगी लेकिन लगता है यह भी जुमला भर है अमल करने के लिए नहीं कहा जाता है यही सच है तो पार्टी का क्या हाल हो गया है यह भी किसी से छिपा नहीं है।अगर कांग्रेस पार्टी को यूपी और देश में मज़बूत करनी है तो विचारधारा पर आधारित नेताओं को तर्जी देनी होगी यही पार्टी को यूपी सहित देश में मज़बूत कर सकती हैं।वरना राहुल गांधी के द्वारा की गई पूरी मेहनत ख़राब हो जाएगी।