रिपोर्ट: मोहम्मद ज़ैद

सूरतगंज बाराबंकी।आवारा पशु लगातार किसान की लागत और मेहनत दोनों को बर्बाद कर रहे हैं। सरकार ने भले ही आवारा पशुओं को गौशाला में डालने का फरमान सुना दिया हो लेकिन हेतमापुर तटबनध पर आज भी सैकड़ो की तादाद में आवारा पशु बाढ़ पीड़ितो की खेती बर्बाद करते हुए दिख जाते हैं। किसान फसल पाने की उम्मीद में लागत लागाता है और खेतों में जमकर पसीना बहाता है लेकिन ये आवारा पशु किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर देते हैं।सुंदरनगर निवासी राजेश ने बताया कि बाढ़ के कारण सब तरफ पानी भरा होने के कारण करीब सैकड़ों छुट्टा मवेशियों ने बंधे पर जमा हो गए ।सरकार की तरफ से इनके लिए न तो खाने पीने का कोई इंतजाम है जिससे ये मवेशी बंधे पर बसे बाढ़ पीड़ितो के लिए काल बने हुए है ।

कभी- कभी ये देखने को भले ही मिल जाता है कि आवारा पशुओं को क्षेत्रीय लोग अपने यहां से भगाकर अन्यत्र कहीं दूर कर देते हैं और वहां जाकर वहां के किसानों की खेती बर्बाद करने में लग जाते हैं। मौजूदा समय मे किसान की सबसे बड़ी समस्या यही है कि आखिर इस समस्या का निदान आखिर कब तक होगा। किसानों को तो यह भी नहीं पता कि हम इस समस्या की शिकायत किसके पास करें। हालांकि कुछ जागरूक किसान क्षेत्र के लेखपाल को भी फोन लगाकर समस्या से अवगत करा देते हैं लेकिन उस शिकायत का कोई सार्थक परिणाम नही निकलता और नतीजा फिर वही “ढाक के तीन पात” जैसा ही है।

प्रदेश सरकार का फरमान बहुत पहले से ही आ चुका है कि आवारा पशुओं को गौशाला में रखा जाय लेकिन उसके बावजूद अभी भी भारी मात्रा में आवारा पशुओं का झुंड किसानों के लिए मुसीबत बना है और कहीं- कहीं तो ये आम लोगों को घायल कर अस्पताल तक पहुंचा देते हैं। समाचार पत्रों में खबरे छपती हैं और सरकार सम्बंधित अधिकारियों को कड़ा निर्देश देती है लेकिन कुछ दिन बाद स्थिति जस की तस हो जाती है।