दलितों पर अत्याचार की जड़ भूमि प्रश्न को हल करे सरकार- आईपीएफ

लखनऊ
“प्रयागराज का गोहरी दलित हत्याकांड दूसरा खैरलांजी है एवं दलितों पर अत्याचार की जड़ भूमि प्रश्न को हल करे सरकार” यह बात आज आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष, एस आर दारापुरी ने प्रेस को जारी बयान में कही है। उन्होंने आगे कहा है गोहरी कांड में नाबालिग बेटी और माँ के साथ बलात्कार के बाद परिवार के चारों सदस्यों की नृशंस हत्या महाराष्ट्र के खैरलांजी हत्याकांड की पुनरावृति है। खैरलांजी की तरह ही इस की जड़ में भी भूमि विवाद रहा है। इस मामले में भी पुलिस की भूमिका वैसी ही पक्षपातपूर्ण रही है। थाने पर केस दर्ज कराने के बावजूद भी पुलिस द्वारा आरोपियों के विरुद्ध कोई कार्रवाही न करके समझौता करने का दबाव बनाया गया जिसका दुष्परिणाम जघन्य हत्याओं के रूप में सामने आया है।

अतः इस मामले में हत्यारोपियों के साथ साथ पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध भी एससी/ एसटी एक्ट के अंतर्गत कर्तव्य की अवहेलना के आरोप में कार्रवाही की जानी चाहिए क्योंकि निलंबन कोई सजा नहीं होती है। अगर इस मामले में पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कानूनी दंडात्मक कार्रवाही होती है तो यह दूसरों के लिए भी एक नजीर बनेगी परंतु वर्तमान योगी सरकार से इसकी कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। यह भी उल्लेखनीय है वर्तमान योगी सरकार के कार्यकाल में दलितों पर अत्याचारों में भारी वृद्धि हुई है खास करके दलित महिलाओं पर। हाथरस कांड इसका बड़ा उदाहरण है। इन मामलों में दोषियों को सरकार द्वारा बचाने के किए गए प्रयास भी किसी से छुपे नहीं हैं।

दारापुरी ने आगे कहा है कि दलितों पर अत्याचार के अधिकतर मामलों की जड़ में भूमि विवाद रहता है जैसाकि सोनभद्र के उभा कांड जिसमें ग्यारह आदिवासी मारे गए थे, में भी था। ऐसे मामलों में पुलिस एवं प्रशासन दलित/आदिवासियों की बजाए सामंतों के पक्ष में ही खड़ा दिखाई देता है। इसके साथ ही दलित/आदिवासियों की भूमिहीनता उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है जिसके लिए इन वर्गों को सरकारी भूमि/वनाधिकार कानून के अंतर्गत भूमि आवंटन द्वारा उनका सशक्तिकरण करके उनकी पराश्रिता को कम किया जाना चाहिए। परंतु वर्तमान योगी सरकार ने तो सुप्रीम कोर्ट के 2019 के आदेश के बावजूद भी आज तक एक भी दलित/आदिवासी को वन भूमि का पट्टा नहीं दिया है। इसके विपरीत योगी सरकार ने 2017 में दलितों/आदिवासियों का सरकारी/वनभूमि से बेदखली का अभियान चलाया था जिसे आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से 2017 में स्टे आर्डर प्राप्त करके रोका था तथा उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के बेदखली के आदेश को भी 2019 में रुकवा कर वनाधिकार के सभी दावों के पुनर्परीक्षण का आदेश प्राप्त किया था। परंतु योगी सरकार ने इस पर आज तक रत्ती भर भी कार्रवाही नहीं की है जो उसकी दलित/आदिवासी विरोधी मानसिकता का प्रतीक है।

अतः आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट मांग करता है कि गोहरी दलित हत्याकांड के आरोपियों के साथ साथ जानबूझकर लापरवाही बरतने एवं पक्षपात करने वाले पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध भी एससी/एसटी एक्ट के अंतर्गत कानूनी कार्रवाही की जाए। पीड़ित परिवार के सदस्यों को देय मुआवजा व सुरक्षा दी जाए। विशेष अभियान चलाकर दलित/आदिवासियों को सरकारी भूमि तथा वनाधिकार कानून के अंतर्गत वनभूमि के पट्टे दिए जाएं। इसके साथ ही विभिन्न राजनीतिक पार्टियों द्वारा आगामी चुनाव में दलित/आदिवासियों को भूमि आवंटन को चुनावी मुद्दा भी बनाया जाए।