भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने कहा है कि समग्र स्वास्थ्य सेवाओं में अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश की सबसे खराब स्थिति की नीति आयोग द्वारा की गई पुष्टि ने डबल इंजन वाली योगी सरकार के दावों को पलीता लगा दिया है। इससे पहले, स्वच्छ गंगा मिशन प्रमुख द्वारा इस साल कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गंगा में ढेरों तैरती लाशें मिलने की हालिया स्वीकारोक्ति से भी यूपी में स्वास्थ्य कुव्यवस्था की तसदीक हुई थी।

पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि प्रदेश में खासकर ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की दयनीय स्थितियां किसी से छुपी नहीं है। डॉक्टर, दवाई और बेड के अभाव का खामियाजा गुजरे अप्रैल-मई में सबसे ज्यादा ग्रामीण आबादी को ही भुगतना पड़ा था। विधानसभा में सरकार के बयान दे देने से कि ऑक्सीजन की कमी से कोरोना काल में यूपी में एक भी मौत नहीं हुई, असलियत बदल नहीं जाती।

माले नेता ने कहा कि भाजपा सरकार के विकास की ढोल की पोल खुलती जा रही है। यही कारण है कि अब भाजपा पांच साल बाद इम्तिहान में फेल होने के भय से सब कुछ छोड़कर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के एजेंडे को राजनीतिक विमर्श के केंद्र में लाने में जुट गई है। चुनावी रैलियों में उसके नेता नफरत फैलाने और राष्ट्रवाद का छद्म मुद्दा उछालने का काम करते हैं, वहीं संघ की विचारधारा से जुड़े धार्मिक नेता धर्म संसदों के नाम पर साम्प्रदायिक मारकाट मचाने का आह्वान करते दिख रहे हैं। यह परिदृश्य भाजपा की हताशा-निराशा और आसन्न पराजय बोध को परिलक्षित करता है। चंडीगढ़ निकाय चुनाव परिणाम इसकी महज शुरुआत भर हैं।