कांवड़ यात्रा को लेकर जारी नफरती फरमान वापस ले योगी सरकार: भाकपा (माले)
लखनऊ
भाकपा (माले) ने कांवड़ यात्रा मार्ग के होटलों और खानपान की दुकानों में क्यू आर कोड लगाने के योगी सरकार के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को सख्त रुख अपनाने पर कहा है कि सरकार अपना यह नफरती फरमान वापस ले। साथ ही कहा कि कांवड़ियों को अनुशासित किया जाए, उनके उत्पात को संरक्षण देने के बजाय उस पर रोक लगाई जाए और कानून हाथ में लेने वालों को दंडित किया जाए।
पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि योगी सरकार अपनी विभाजनकारी नीतियों से संवैधानिक मूल्यों और शीर्ष न्यायालय की लगातार अवहेलना कर रही है। पिछले साल भी सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल मालिकों और खानेपीने की चीजें बेचने वालों को नेमप्लेट लगाने का आदेश जारी किया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। कोर्ट ने नेमप्लेट लगाने के पीछे धार्मिक पहचान उजागर करने की सरकार की मंशा को पकड़ लिया था। सरकारी आदेश संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ था, जिसका कोई कानूनी आधार नहीं था, लिहाजा कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
माले नेता ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस साल क्यू आर कोड लगाने का फरमान जारी किया। इस कोड को स्कैन करने पर होटल, ढाबा व खानपान का ठेला लगाने वालों के नाम, विवरण सहित धार्मिक पहचान भी उजागर होती है। यानी सरकार ने नेम प्लेट पर रोक के शीर्ष अदालत के पिछले साल के आदेश से कोई सबक नहीं लिया और नए लेबल में विभाजन की अपनी पुरानी नीति जारी रखी है। इस पर कड़ाई से रोक लगनी चाहिए।
माले राज्य सचिव ने कहा कि कांवड़ियों द्वारा मेरठ सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में सड़कों पर उत्पात मचाने, गाड़ियों के शीशे तोड़ने, राहगीरों से मारपीट करने, होटलों में तोड़फोड़ करने और पुलिस के मूकदर्शक बने रहने के वीडियो वायरल हुए हैं। कानून का राज कायम करने की जगह कानून को हाथ में लेने वालों को संरक्षण दिया जा रहा है। कांवड़ यात्रा के लिए वहां बच्चों के स्कूल हफ्ते भर के लिए बंद कर देने की खबर है। इससे पढ़ाई का नुकसान होगा। सरकार की नीति शिक्षा और स्कूल बंद करने और धार्मिक गतिविधियों को वरीयता देने की है। आखिर इससे कैसा समाज बनेगा?










