उत्तर प्रदेश राज्य समाज कल्याण बोर्ड से सेवानिवृत्त तीन वरिष्ठ नागरिक—कपेश्वर नाथ श्रीवास्तव (76 वर्ष, निवासी बाराबंकी), रविन्द्र कुमार पाण्डेय (67 वर्ष, निवासी लखनऊ), और श्रीमती रमा शर्मा (86 वर्ष, विधवा, निवासी लखनऊ)—लगातार दिसंबर 2023 से बंद हुई पेंशन के कारण मानसिक और आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। इन सभी ने राज्य सरकार को कई बार पत्राचार कर अपनी व्यथा बताई, परंतु शासन स्तर पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

इस संबंध में अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने मीडिया को बताया कि इन वृद्धजनों ने क्रमशः 28 मई 2024, 6 अगस्त 2024, 20 फरवरी 2025, 18 मार्च 2025 एवं 26 मार्च 2025 को शासन, निदेशालय महिला कल्याण तथा प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग को पत्र भेजे। उन्होंने पेंशन पुनः प्रारंभ करने, लंबित बकाया भुगतान करने और अपने संकट की ओर शासन का ध्यान खींचने का प्रयास किया। परंतु दुखद है कि शासन प्रशासन ने अब तक चुप्पी साध रखी है।

रविन्द्र कुमार पाण्डेय, जो स्वयं भी इस समय ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित हैं, ने मुख्यमंत्री को एक विशेष पत्र भेजकर बताया कि उनकी पत्नी का कैंसर उपचार तक पेंशन बंद हो जाने के कारण रुक गया है। दूसरी ओर, श्रीमती रमा शर्मा ने लिखा है कि उनके पति समाज कल्याण बोर्ड में पूरी सेवा देने के बाद दिवंगत हुए और अब उन्हें विधवा पेंशन से भी वंचित किया गया है। कपेश्वर नाथ श्रीवास्तव, जो वर्षों तक विभाग में कार्यरत रहे, अब इलाज के लिए दूसरों पर निर्भर हैं।

विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि केंद्र सरकार ने 4 अप्रैल 2024 को केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड को बंद करने का निर्णय लिया था और सभी राज्यों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन व अन्य लाभ निर्बाध रूप से जारी रखे जाएं। कई पत्रों में (तारीख 28 अप्रैल 2022, 14 जुलाई 2022, 24 मार्च 2023, 30 अप्रैल 2023, 16 अक्टूबर 2023 व 20 मई 2024) यह कहा गया है कि पेंशन का दायित्व अब राज्यों का है। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की।

अधिवक्ता पाण्डेय ने यह भी बताया कि बंद हो चुके राज्य समाज कल्याण बोर्ड के खातों में ₹7.83 करोड़ से अधिक की अवशेष धनराशि उपलब्ध है, जिसे यदि अस्थायी रूप से ही सही, पेंशन भुगतान में प्रयोग किया जाता, तो इन वरिष्ठ नागरिकों को राहत मिलती। तमिलनाडु, ओडिशा, राजस्थान, उत्तराखंड व चंडीगढ़ जैसे राज्यों में आज भी बोर्ड कर्मियों को पेंशन मिल रही है, जबकि उत्तर प्रदेश में ये बुजुर्ग केवल प्रतीक्षा कर रहे हैं।

विजय कुमार पाण्डेय ने प्रेस के माध्यम से यह जानकारी दी है और कहा कि यह केवल तीन लोगों की समस्या नहीं, बल्कि शासन व्यवस्था की संवेदनशीलता की परीक्षा है। सेवा देने वालों को जीवन के इस पड़ाव पर अपमानित किया जाना संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का भी उल्लंघन है। उन्होंने मांग की है कि सरकार तत्काल पेंशन भुगतान बहाल करे, लंबित बकाया जैसे ग्रेच्युटी एवं अवकाश नकदीकरण का भुगतान करे और भविष्य की व्यवस्था सुनिश्चित करे।