झारखंड में बैंकों में जमा पूंजी के पलायन पर लगे रोक: अखिलेन्द्र प्रताप सिंह
गुमला में हुई एआईपीएफ और झारखंड नवनिर्माण दल की संयुक्त बैठक
गुमला
प्राकृतिक संसाधनों और सार्वजनिक संपदा से भरपूर झारखंड में लोगों की जमा पूंजी का बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है। यहां के लोगों की बैंकों में जमा पूंजी का करीब 50 फीसदी दूसरे प्रदेशों में चला जा रहा है। इस पूंजी के पलायन पर रोक लगनी चाहिए और इस पैसे को झारखंड के नौजवानों व महिला स्वयं सहायता समूहों को न्यूनतम ब्याज दर पर नए उद्योग लगाने व रोजगार सृजन के लिए दिया जाना चाहिए। निश्चित ही यह झारखंड में जारी मजदूरों के पलायन पर भी रोक लगायेंगा और यहां की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। यह बात आज ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के संस्थापक सदस्य अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने गुमला परिसदन में हूल दिवस के अवसर पर आयोजित एआईपीएफ व झारखंड नवनिर्माण दल की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहीं।
उन्होंने नॉन बैंकिंग कंपनियों द्वारा जनता की जमा पूंजी की लूट के विरुद्ध जारी आंदोलन को न्यायोचित बताते हुए झारखंड सरकार से तत्काल लोगों का पैसा दिलाने के लिए पहल करने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा देश की संसद द्वारा बनाए अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम 2019 यानी बड्स एक्ट को तत्काल झारखंड में लागू किया जाना चाहिए। जिन वित्तीय संस्थानों ने जनता के पैसे की लूट की है उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जानी चाहिए।
बैठक का संचालन करते हुए झारखंड नवनिर्माण दल के केंद्रीय संयोजक विजय सिंह ने कहा कि झारखंड में रोजगार और सामाजिक अधिकार संवाद अभियान चलाया जाएगा और पांचो प्रमंडल मुख्यालयों पर संवाद कार्यक्रम आयोजित होगा। बैठक की अध्यक्षता करते हुए नवनिर्माण दल की केंद्रीय समिति सदस्य पुष्पा उरांव ने कहा कि आदिवासी समाज की जारी लूट पर लगाम लगाने के लिए पहल तेज की जाएगी। सभी जिला मुख्यालयों पर आंदोलन के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। बैठक में सितंबर व अक्टूबर माह में गांव-गांव सघन अभियान चलाकर संगठन को मजबूत करने और नवंबर माह में एआईपीएफ के चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन को सफल बनाने की भी रणनीति तैयार की गई।
बैठक में सुरेन्द्र साय, शिवचंद मांझी, नील जस्टीन बेक, आदित्य सिंह, सुकरा मुण्डा, सोमा भगत, मो० इस्लाम, हफ्फेजुर रहमान, गोमन्दो महतो, प्रेमचंद तिग्गा, बसन्त बड़ाईक, लेवनार्ड खलखो, बादल सिंह, तेम्बू भगत, देवकुमार काशी, आनन्द साहू, मांगा उरांव, भोला साहू, सीलमीना बरजो, शांति देवी आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।