लखनऊ
सेवानिवृत्त कर्मचारी और सैनिक के लिए अपनी पत्नी का नाम सर्विस रिकार्ड में दर्ज कराना अत्याधुनिक कहे जाने वाले तकनीकी युग में भी कोई आसान कार्य नहीं है l अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने कहा कि तकनीक के विकास से लोगों का सामान्य जीवन कानूनी जटिलताओं से निकलकर सहजता की तरफ बढ़ना चाहिए और, परंपरागत कानूनी जटिलताओं को तकनीक के साथ जोड़कर आसान बनाया जाना चाहिए लेकिन, हमारे देश में नवीन सुविधाओं को पुरानी व्यवस्था को समाप्त करने के बजाय एक नई सुविधा मानकर शामिल कर लिया जाता है जिससे छोटे-छोटे कार्य इतने जटिल हो जाते हैं “अंतिम-आदमी” परेशान हो जाता है l

अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि मामला लखनऊ निवासिनी श्रीमती आरती गिरि का है जिनका विवाह करीब तीन वर्ष पहले सेवानिवृत्त सैनिक के साथ संपन्न हुआ, विवाह के पश्चात अपने पति के सर्विस रिकार्ड में बतौर पत्नी अपना दर्ज कराने के लिए उन्होंने अथक प्रयास किया लेकिन आज तक उनका नाम दर्ज नहीं हो सका l उन्होंने सोल्जर बोर्ड से संपर्क करने के बाद अपने पति के रिकार्ड आफिस से संपर्क किया तो उन्होंने इतनी औपचारिकताएं बता दी गयीं जिसकी आवश्यकता वर्तमान युग में अनावश्यक प्रतीत होती है, उन्होंने अपनी शादी का प्रमाण, रजिस्ट्रार लखनऊ द्वारा जारी रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्र, निवास से संबंधित प्रमाण इत्यादि सौंप दिए गए लेकिन, उसके बाद मांग की गई कि विवाह से संबंधित शपथ-पत्र पर प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट से काउंटर साईन कराकर लाईए और अब पत्नी इधर उधर भटक रही है l

जबकि आधुनिक युग में सभी प्रमाण-पत्र आनलाईन हैं यदि कोई उसकी प्रामाणिकता जानना चाहे तो आसानी से जान सकता है, दूसरे मजिस्ट्रेट का हस्ताक्षर भी शादी से संबंधित कागजात देखकर ही किए जाते हैं जिसकी आवश्यकता आज के युग में नहीं है, सोल्जर बोर्ड इसकी जांच करके रिपोर्ट दे सकता है लेकिन, ऐसा नहीं हो रहा है l युग बदल गया, दुनिया बदल गई और लोगों की जीवन शैली बदल गई लेकिन, हमारे नियम-कायदे जस के तस हैं, हमारे यहाँ सुधार के प्रति दृष्टिकोंण एक अतिरिक्त व्यवस्था के रूप में है न कि पुरानी व्यवस्था छोड़कर नई स्वीकार करने की जिसके कारण छोटे-छोटे कार्य जटिल हो गए हैं l