इस मामले की न्यायिक जांच एवं सीबीसीआईडी द्वारा विवेचना की जाए

लखनऊ ब्यूरो

“पुलिस हिरासत में मौत के लिए कासगंज पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध हत्या का केस दर्ज हो और अपराध/साक्ष्य को छुपाने के लिए पुलिस अधीक्षक कासगंज के विरुद्ध भी कानूनी कार्रवाही हो तथा इस मामले की न्यायिक जांच एवं सीबीसीआईडी द्वारा विवेचना की जाए”-यह बात आज एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट ने प्रेस को जारी बयान में कही है। उन्होंने आगे कहा है कि अल्ताफ की कोतवाली कासगंज में आत्महत्या की कहानी बिल्कुल फर्जी है क्योंकि वाशरूम में 2-2-1/2 फीट ऊंची प्लास्टिक की टूटी से लटक कर 5 फीट-6 इंच का व्यक्ति किसी भी तरह से फांसी नहीं लगा सकता। यह स्पष्ट तौर पर पुलिस हिरासत में टार्चर द्वारा की गई हत्या का मामला है जिसे आत्महत्या का रूप देने का हास्यास्पद प्रयास किया गया है। इस संबंध में थाने के सभी अधिकारियों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज करके सीबीसीआइडी द्वारा विवेचना तथा न्यायिक जांच होनी चाहिए। इस मामले में पुलिस अधीक्षक कासगंज द्वारा अपराध/साक्ष्य को छुपाने के लिए दिए गए भ्रामक बयान के लिए दंडात्मक कार्रवाही की जानी चाहिए। इसके साथ ही कासगंज पुलिस द्वारा मृतक अल्ताफ के पिता से क्लीन चिट देने के लिए अपने पक्ष में लिखवाए गए बयान के लिए पद का दुरुपयोग करने के लिए भी दंडात्मक कार्रवाही की जानी चाहिए।

यह ज्ञातव्य है कि पुलिस हिरासत में मौतों के लिए उत्तर प्रदेश पूरे देश में प्रथम है। अभी कुछ दिन पहले आगरा में भी एक सफाई कर्मचारी की चोरी के मामले में हिरासत में मौत हुई थी जिसके बारे में भी फर्जी कहानी गढ़ी गई थी। वास्तव में योगी राज में पुलिस को असीमित छूट देने से उत्तर प्रदेश पुलिस बिल्कुल निरंकुश हो गई है और पुलिस थाने निर्दोष लोगों की कबरगाह बन गए हैं।

अतः आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट कासगंज पुलिस के विरुद्ध अल्ताफ की हिरासत में मौत के लिए हत्या का केस दर्ज करने, पुलिस अधीक्षक के विरुद्ध अपराध/साक्ष्य को छुपाने तथा मृतक के पिता से पद का दुरुपयोग करके पुलिस को क्लीन चिट दिलाने के प्रयास के लिए कानूनी कार्रवाही करने की मांग करता है। इसके साथ ही मृतक के परिवार को मुआवजा भी दिया जाए। इस मामले की न्यायिक जांच एवं सीबीसीआईडी द्वारा विवेचना की जाए।