लखनऊ

कोरोना काल में क़लमकार भू माफिया का शिकार, प्रशासन नहीं मिल रही कोई मदद

लखनऊ: कोरोना काल में जबकि पूरा लखनऊ शहर महामारी से जूझ रहा है, पुराने लखनऊ में रहने वाले एक पत्रकार और उपन्यासकार अनुराग कुमार भू माफिया का शिकार बन रहे हैं. अनुराग कुमार जोकि लखनऊ के इतिहास पर अनगिनत लेख लिख चुके हैं और दो उपन्यास भी लिख चुके हैं करीब तीन हफ्ते से भू माफिया द्वारा प्रताड़ित किये जा रहे हैं। उनसे उनका पुश्तैनी आशियाना छीनने की कोशिश की जा रही है.

अनुराग कुमार के अनुसार वह पुश्तैनी मकान के टॉप फ्लोर पर रहते हैं जोकि इनके बाबा को विरासत में मिला था । इनके बाबा ने टॉप फ्लोर के नीचे एक परिवार को किरायेदार रखा था जिसमे कालांतर में केवल एक बेवा रह गयी जो बड़ी मुश्किल से अपना जीवन यापन कर रही थी लेकिन अचानक कुछ लोगों ने उनको घर से निकल दिया। इस पर अनुराग कुमार ने आपत्ति जताई और बेवा की तरफ से पुलिस को भी सूचित किया लेकिन बेवा इतनी डरी हुई थी कि वह चुपचाप मकान खाली करके चली गयी. अनुराग ने बताया कि इसके बाद इन अज्ञात लोगों ने धोखे से मेरा ही घर गिराने की साज़िश रची लेकिन वहां पर काम कर रहे मज़दूरों की बातों को सुनकर इस साज़िश का जब मुझे पता चला तो मैंने तुरंत कोतवाली चौक में इसकी शिकायत की जिसके बाद पुलिस ने कुछ समय के लिए ध्वस्तीकरण रुकवा दिया।

अनुराग कुमार ने बताया कि इसके बाद मैंने तुरंत न्यायालय में वाद स्थापित करने की प्रक्रिया चालू कर दी लेकिन कोरोना के चलते न्यायालय लम्बे समय के लिए बंद रहा जिससे वाद स्थापित करने में कठिनाई हुई इसका फ़ायदा उठाते हुए भू माफिया के लोगों ने पुलिस पर दबाव बनाया और ध्वस्तीकरण फिर से चालू हो गया.

अनुराग के अनुसार इस बीच धोखे से उन्हें पुलिस चौकी यहियागंज बुलाया गया और वहां मौजूद कुछ लोगों ने जो अपने आपको वकील बता रहे थे मुझे डराया धमकाया और कहा कि वो उन्हें न्यायालय में वाद ही नहीं स्थापित करने देंगे। अनुराग ने बताया कि चौकी इंचार्ज ने उनसे कहा कि वह तुरंत न्यायालय से स्टे आर्डर लाकर दिखाएं अन्यथा उनके हिस्से में भी ध्वस्तीकरण का कार्य प्रारम्भ हो जायेगा। इस पर उन्होंने कहा कि कानून के हिसाब से यदि कोई किसी ऐसे भवन में ध्वस्तीकरण करता है जिसमें अन्य लोग भी रहते हैं तो उसको नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना होता है वहां पर रहने वाले व्यक्तियों से और कोर्ट से ध्वस्तीकरण का आदेश लेना होता है तभी ध्वस्तीकरण हो सकता है लेकिन पुलिस ने बार बार यही कहा कि स्टे आर्डर लाएं लेकिन कोरोना के कारण कोर्ट बंद होने से ये असंभव है, ऐसा बताने पर भी पुलिस स्टे आर्डर लाने पर अड़ी हुई है.

गौरतलब है कि अनुराग कुमार लखनऊ के एक बहुत पुराने परिवार से ताल्लुक रखते हैं और जिन्होंने लखनऊ के बारे में न केवल देश में बल्कि विदेशों के अख़बारों में भी लिखा है । अनुराग कुमार मुख्यमंत्री, क्षेत्र के विधायक, प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारियों तक अपनी फरियाद पहुंचा चुके हैं लेकिन अभी तक उन्हें किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिली है. अनुराग का परिवार हर समय किसी भी अनहोनी के डर सहमा हुआ है.

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