मथुरा शाही ईदगाह मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ लिखे जाने की मांग पर सुनवाई से हाईकोर्ट का इंकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिका में उस मांग पर सुनवाई से इनकार कर दिया है जिसमें अदालत से अनुरोध किया गया था कि भविष्य में होने वाली सभी कार्यवाहियों में शाही ईदगाह मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ लिखा जाए.
हिंदू पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट से श्री कृष्ण जन्म भूमि-शाही ईदगाह मस्जिद मामले में बड़ा झटका लगा है। इस मामले में हिंदू पक्ष की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में मांग की गई थी कि अदालत में भविष्य में होने वाली सभी कार्यवाहियों में शाही ईदगाह मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ लिखा जाए लेकिन अदालत ने सुनवाई करने के बाद ऐसा करने से इनकार कर दिया।
हिंदू पक्ष की ओर से अदालत में अपनी तमाम दलीलें रखी गई थी और इनके आधार पर ही यह मांग की गई थी। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की बेंच ने कहा कि इस मामले को खारिज किया जाता है। इस मामले में कुल 18 मुकदमों में एक साथ सुनवाई चल रही है।
इनमें यह मांग भी की गई है कि श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के परिसर से अवैध अतिक्रमण को हटाया जाए। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि शाही इदगाह मस्जिद अवैध अतिक्रमण की तरह है।
यह विवाद मथुरा में औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से संबंधित है। इसके बारे में कहा जाता है कि इसे भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित मंदिर को ध्वस्त करके बनाया गया था। 1968 में मंदिर का प्रबंधन करने वाले प्राधिकरण श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के बीच एक समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत दोनों पूजा स्थलों को एक साथ चलाने की अनुमति दी गई थी। लेकिन बाद में इस समझौते की वैधता को अदालतों में चुनौती दी गई है।
चुनौती देने वालों का कहना है कि समझौता धोखाधड़ी से किया गया था और कानूनी तौर पर गलत है। विवादित स्थल पर पूजा करने के अधिकार का दावा करते हुए कई याचिकाकर्ताओं ने शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की है।
मई 2023 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी मुकदमों को अपने पास ट्रांसफर कर लिया। इस आदेश को मस्जिद समिति और बाद में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
दिसंबर 2023 में हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद के निरीक्षण के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की मांग वाली याचिका को स्वीकार कर लिया और कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया। जनवरी 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद का निरीक्षण करने के लिए कमिश्नर नियुक्त करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी।