लखनऊ:
देश के मौजूदा हालात पर टिप्पणी करते हुए मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने कहा कि हिंदू धर्म एक शांतिपूर्ण धर्म है, रामचंद्र जी ने पूरी जिंदगी ज़ुल्म के खिलाफ लड़ाई लड़ी। रावण एक ज़ालिम शासक था जिसका उन्होंने ख़ात्मा किया, इसके बावजूद कुछ हिंदू ज़ालिमों का समर्थन कर रहे हैं, यह निंदनीय है। ये वो लोग हैं जो गोडसे को मानते हैं, महात्मा गांधी की विचारधारा को नहीं मानते। मौलाना ने कहा कि आखिर कोई हक़ पसंद बे गुनाह औरतों और बच्चों के क़ातिल की हिमायत कैसे कर सकता है। अगर हम ज़ालिम के ख़िलाफ़ लड़ने वालों की तस्वीरें नहीं लगाएंगे तो क्या हिटलर और गोडसे की तस्वीरें लगाएंगे

इससे पहले इमामबाड़ा गुफ़रानमआब में अशरा ए मुहर्रम की सातवीं मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने विलायते अली (अस) की अज़मत और अहमियत पर ख़िताब किया। मौलाना ने विलायते अली की अज़मत पर रौशनी डालते हुए कहा कि रसूल अल्लाह ने ऐलान-ए-विलायत के लिए हुक्मे खुदा पर मुकम्मल एहतेमाम किया था ताकि कोई ये न कह सके कि अली की विलायत का ऐलान यूँही जुज़्वी तौर पर कर दिया गया। इसलिए पैग़म्बर ने मैदान-ए-ग़दीर को चुना और बाक़ाएदा सवा लाख हाजियों के मजमे में विलायते अली का ऐलान हुआ। मौलाना ने हदीसे रसूल की रौशनी में इमाम हसन (अस) और इमाम हुसैन (अस) की अज़मत को बयान करते हुए कहा कि रसूल अल्लाह ने इरशाद फ़रमाया है कि ये मेरे दोनो बेटे इमाम हैं ख़्वाह खड़े रहे या बैठ जाएं। मक़सद ये था ख़्वाह ये सुलाह करें या जंग करें, बहर हाल हक़ इन्ही के साथ होगा।।

मजलिस के आखिर में मौलाना ने हज़रत इमाम हसन (अस) के बेटे हज़रत क़ासिम (अस) की शहादत के वाक़िये को बयान किया। मजलिस के बाद नौहा ख़्वानी व सीना ज़नी भी हुई।