नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम में चयनकर्ता और खिलाड़ियों के बीच होने वाला विवाद काफी पुराना है, हालांकि यह विवाद घरेलू स्तर पर भी बरकरार है। इस बारे में बात करते हुए भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज और कॉमेंटेटर आकाश चोपड़ा (akash chopra) ने उस वक्त का खुलासा किया जब उन्हें दिल्ली की टीम से अचानक निकाल दिया गया था। भारतीय घरेलू क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी वसीम जाफर (waseem jaffer) और आकाश चोपड़ा लाइव चैट कर रहे थे और घरेलू क्रिकेट में चयनकर्ताओं का खिलाड़ियों के प्रति बर्ताव और होने वाली राजनीति पर बात की।

उल्लेखनीय है कि आकाश चोपड़ा ने भारत के लिये 10 टेस्ट मैच खेलकर 437 रन बनाये थे। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भले ही आकाश चोपड़ा खास प्रदर्शन न कर सकें हो लेकिन घरेलू क्रिकेट में खेल गये 162 फर्स्ट क्लास मैच में उन्होंने 45.35 की औसत से 10839 रन बनाये थे, इस दौरान उन्होंने 29 शतक और 53 अर्धशतक लगाये थे।

आकाश चोपड़ा ने इस बात पर खुलासा करते हुए कहा कि जिस वक्त उन्हें दिल्ली की टीम से अचानक निकाला गया उस वक्त वह टीम के कप्तान थे, इसके बावजूद उन्हें टीम से बाहर करने और कप्तानी से हटाने के फैसले के बारे में नहीं बताये गये थे। इसके बाद आकाश चोपड़ा ने दिल्ली को छोड़कर राजस्थान (rajasthan) की टीम से क्रिकेट खेला।

उन्होंने कहा, ‘मैं तो दिल्ली से राजस्थान इसलिए गया था कि क्योंकि एक दिन मैं सुबह उठा और मेरा नाम ही नहीं था। वे वनडे की टीम बना रहे थे। उन्होंने मुझे बताया भी नहीं कि मुझे हटाने वाले हैं और सीधे नाम ही काट दिया। वह मेरे लिए शर्मनाक था। मैंने अपना किट बैग ड्राइवर से मंगवाया और कहा कि बड़ी बेइज्जती हो गई। क्योंकि उस सीजन में मैं टीम का कप्तान भी था।’

उल्लेखनीय है कि आकाश चोपड़ा ने साल 2011-12 में आखिरी बार घरेलू क्रिकेट खेला था। इस दौरान उन्होंने वसीम जाफर से बात करते हुए पूछा कि ऐसा क्या हुआ था जो उन्होंने मुंबई की टीम को छोड़कर विदर्भ का दामन थामा।

इसके जवाब में वसीम जाफर ने कहा, ‘2013-14 सीजन के शुरुआत में एक सिलेक्टर मेरे पास आए और कहा हमलोग आपको रणजी ट्रॉफी (ranji tropy) का कप्तान बनाएंगे। मैंने 2010 में कप्तानी से इस्तीफा दिया था। उन्होंने मुझसे कहा कि हम आपको कप्तान के तौर पर देखना चाहते हैं। 2015 का वर्ल्ड कप था तो बीसीसीआई (bcci) ने विजय हजारे ट्रॉफी को रणजी से पहले करवाया था। फिर वो सिलेक्टर मेरे पास आए और कहा हमलोग शायद आपको ड्रॉप कर देंगे। मुझे लगता है उसमें कोच का भी योगदान होगा।’

वसीम जाफर ने आगे बकाया कि जब उन्होंने चयनकर्ता के फैसले पर आपत्ति जताई तो उन्होंने बैठक की और उसके बाद मुझे वनडे टीम में शामिल किया। हालांकि इसके बाद मैंने सोचा कि बेहतर है कि यह मुझे निकालें उससे पहले मैं ही टीम छोड़ दूं।

उन्होंने कहा, ‘मैंने इस फैसले को लेकर नाराजगी जाहिर की तो बाद में उन्होंने बैठक करने के बाद मुझे वनडे टीम में ले लिया। मैंने उस विजय हजारे ट्रॉफी में सबसे ज्यादा रन बनाए थे। इसके बाद रणजी ट्रॉफी के पहले मैच में जम्मू-कश्मीर के खिलाफ मैं चोटिल हो गया तो पूरा सीजन नहीं खेल पाया। फिर मुझे लगा कि मैं इनके प्लान में नहीं हूं। तो मैंने प्लान बनाया कि इससे पहले कि वे मुझे निकाले, मैं ही बाहर चला जाता हूं। विदर्भ से ऑफर और टीम के भविष्य के बेहतर प्लान को देखने के बाद मैंने उन्हें जॉइन कर लिया।’