दिल्ली:
महाराष्ट्र में उद्धव और शिंदे गुट में चुनावी चिन्ह को लेकर चल रही जंग का फैसला आ चूका है, उद्धव ठाकरे को टार्च और मशाल वाला चिन्ह दे दिया गया है, वहीं उनकी पार्टी का नाम शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे रखा गया है. दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को Balasahebchi Shiv Sena नाम दिया है जबकि चुनाव निशान के लिए तीन विकल्प मांगे हैं. बता दें यह फैसला सामयिक है, असली शिवसेना का फैसला होना अभी बाकी है, फिलहाल यह प्रबंध होने वाले उपचुनाव और BMC के इलेक्शन को लेकर किया गया है.

दूसरी ओर चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ ठाकरे गुट दिल्ली हाई कोर्ट पहुँच गया है. सोमवार को ही उद्धव ठाकरे की तरफ से दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. उस याचिका के जरिए चुनाव आयोग के उस फैसले का विरोध किया गया है, जहां पर शिवसेना के चुनाव चिन्ह को फ्रीज कर दिया गया था.

जानकारी तो ये भी मिली है कि एकनाथ शिंदे गुट की तरफ से चुनाव आयोग को पहले तीन विकल्प दिए गए थे. लेकिन चुनाव आयोग ने उन तीन विकल्पों में से दो को तो रिजेक्ट कर दिया, वहीं तीसरा वाला क्योंकि डीएमके के चुनाव चिन्ह से मेल खा रहा था, ऐसे में उसे भी स्वीकार नहीं किया गया. बताया जा रहा है कि शिंदे खेमे की तरफ से त्रिशूल, गदा और उगते सूरज चुनावी चिन्ह के लिए भेजे गए थे, लेकिन चुनाव आयोग ने त्रिशूल और गदा को धार्मिक बताया और उगते सूरज को डीएमके का चुनावी चिन्ह. ऐसे में अब दोबारा शिंदे गुट को चुनाव आयोग को तीन विकल्प भेजने पड़ेंगे.

वैसे इस समय महाराष्ट्र की राजनीति में सिर्फ मुद्दे अलग रहते हैं, लेकिन उद्धव बनाम एकनाथ शिंदे की जंग तीखी होती जा रही है. इसकी शुरुआत तो सत्ता परिवर्तन के साथ हो गई थी जब उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया, लेकिन इसके बाद शिवसेना के वर्चस्व को बचाने वाली जंग ने भी तनाव कम करने का मौका नहीं दिया. अब उस सब के ऊपर चुनाव चिन्ह वाली लड़ाई ने विवाद को और ज्यादा बढ़ाने का काम किया. अभी के लिए दोनों उद्धव और शिंदे कैंप को ना शिवसेना नाम दिया गया है और ना ही वो वाला चुनाव चिन्ह मिला है.