मास्को: कोविड-19 के रूसी टीके ‘स्पुतनिक V’ के कम संख्या में मानवों पर किये गये परीक्षणों में कोई गंभीर नुकसान पहुंचाने वाला परिणाम सामने नहीं आया है और इसने परीक्षणों में शामिल किये गये सभी लोगों में ‘एंटीबॉडी’ भी विकसित की। द लांसेट जर्नल में शुक्रवार को प्रकाशित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। रूस ने पिछले महीने इस टीके को मंजूरी दी थी। टीके के शुरूआती चरण का यह परीक्षण कुल 76 लोगों पर किया गया और 42 दिनों में टीका सुरक्षा के लिहाज से अच्छा नजर आया। इसने परीक्षणों में शामिल सभी लोगों में 21 दिनों के अंदर एंटीबॉडी भी विकसित की।

28 दिनों के अंदर टी-कोशिकाएं बनाईं
अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि परीक्षण के द्वितीय चरण के नतीजों से यह पता चलता है कि इस टीके ने शरीर में 28 दिनों के अंदर टी-कोशिकाएं भी बनाई। इस दो हिस्से वाले टीके में रीकोम्बीनेंट ह्यूमन एडेनोवायरस टाइप 26 (आरएडी26-एस) और रीकोम्बीनेंट ह्यूमन एडेनोवायरस टाइप 5 (आरएडी5-एस) शामिल हैं। अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक ‘‘एडेनोवायरस’’ के चलते आमतौर पर जुकाम होता है।

टीके का उद्देश्य एंटीबॉडी और टी-सेल विकसित करना
टीके में इसे भी कमजोर कर दिया गया है ताकि वे मानव कोशिकाओं में प्रतिकृति नहीं बना पाएं और रोग पैदा नहीं कर सकें। इस टीके का उद्देश्य एंटीबॉडी और टी-सेल विकसित करना है, ताकि वे उस वक्त वायरस पर हमला कर सकें जब यह शरीर में घूम रहा हो और साथ ही सार्स-कोवी-2 द्वारा संक्रमित कोशिकाओं पर भी हमला कर सकें। रूस स्थित महामारी एवं सूक्ष्म जीवविज्ञान गामेलिया राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र के वैज्ञाानिक एवं अध्ययन के प्रमुख लेखक डेनिस लोगुनोव ने कहा, ‘‘जब एंटीवायरस टीका शरीर में प्रवेश करता है तो वह सार्स-कोवी-2 को खत्म करने वाले हमलावर प्रोटीन पैदा करता है। ’’