मुंबई: शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने शायद चीनी निवेश को पीछे धकेला होगा, लेकिन वह भारतीय भू-भाग में घुसपैठ करने वाले चीनी सैनिकों को पीछे धकेल पाने में सक्षम नहीं रही है। शिवसेना के (मराठी) मुखपत्र ‘सामना’ में अपने साप्ताहिक स्तंभ “रोकटोक” में राउत ने यह दावा किया है। वहीं, भाजपा ने शिवसेना के राज्यसभा सदस्य के इस दावे को हास्यास्पद बताया है। महाराष्ट्र भाजपा के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने कहा, “मोदी सरकार को निशाना बनाने का उनका यह एकसूत्री एजेंडा है।”

चीनी सैनिकों को पीछे धकेलने में अक्षम
राउत के स्तंभ में कहा गया है, “हम चीनी सैनिकों को पीछे धकेलने में अक्षम रहे, लेकिन हमने चीनी निवेश को पीछे धकेल दिया।” शिवसेना सांसद ने कहा, “निवेश बंद करने के बजाय, हमें चीनी सैनिकों को लद्दाख से पीछे धकेलना चाहिए था।” उपाध्ये ने कहा कि उन्होंने राउत के स्तंभ को अभी नहीं पढ़ा है। हालांकि, उन्होंने कहा, “खैर लोग इस तरह के दावे को गंभीरता से नहीं लेते हैं।” राउत ने यह भी लिखा है कि राज्यों और केंद्र के बीच संबंधों में खटास आई है।

राजनीतिक हथकंडों के जरिए लोगों का अहित
उन्होंने कहा, “यदि केंद्र में सत्ता में बैठे लोग यह महसूस नहीं करते हैं कि वे राजनीतिक हथकंडों के जरिए लोगों का अहित कर रहे हैं, तो राज्य उसी तरह से अलग होने लगेंगे जैसे सोवियत संघ का विघटन हुआ था।” राउत ने कहा, “सच्चाई यह है कि जिन राज्यों में भाजपा सत्ता में नहीं हैं, वे भी देश का ही हिस्सा हैं लेकिन उन्हें भुलाया जा रहा है।”

सरकारें गिराने के लिए पैसा है, कोरोना के लिए नहीं
उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी सरकार ने हर नागरिक के लिए प्रति मास कोरोना वायरस राहत पैकेज के तौर पर 85,000 रुपये मुहैया किए हैं। लेकिन भारत में इस तरह का राहत पैकेज नहीं लाया गया। राउत ने कहा, “केंद्र के पास पैसा नहीं है लेकिन चुनाव जीतने के लिए, सरकारें गिराने के लिए और नयी सरकार बनाने के लिए पैसा है। देश के ऊपर कर्ज का बोझ राष्ट्रीय राजस्व प्राप्ति से कहीं अधिक है। यदि हमारे प्रधानमंत्री ऐसी स्थिति में भी चैन की नींद सोते हैं, तो वे सराहना के पात्र हैं।”