हमीरपुर:
होली रंगों का त्योहार लेकिन बाजार में केमिकल वाले रंगों की भरमार रंग में भंग डाल सकती है। इन रंगों में कांच, केमिकल्स, बालू, रेत और मिट्टी आदि का मिश्रण होता है, जो स्किन एलर्जी का कारण बनता है। इनसे त्वचा पर खरोंच और कटने-फटने की दिक्कत भी हो जाती है। यह स्थिति गंभीर रोग का कारण भी बन सकती है। ऐसे में असली और नकली रंगों की पहचान करना बेहद जरूरी हो जाता है।

होली के मौके पर बाजार में केमिलयुक्त रंगों का कारोबार बढ़ जाता है, जो त्योहार के रंग में भंग कर देता है। राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के जिला समन्वयक अखिलेश कुमार शुक्ला का कहना है कि नक्काल हरे रंग में कॉपर सल्फेट का इस्तेमाल करते हैं, जिससे आंख में चले जाने से आंखों में एलर्जी हो सकती है। बैंगनी रंग क्रोमियम आयोडाइड से बनाया जाता है। इससे अस्थमा या एलर्जी का खतरा हो सकता है। सिल्वर रंग एल्युमिनियम ब्रोमाइड जो कि एक आर्सीजोनिक होता है जो कैंसर पैदा करने वाले तत्व के रूप में जाना जाता है। लेड ऑक्साइड से काला रंग बनाया जाता है। यह भी खतरनाक केमिकल है, जो गंभीर रोगों का कारण बनता है। काला रंग प्राकृतिक तौर पर आंवला के पानी, रीठा और लकड़ी के कोयले से बनाया जा सकता है। लाल रंग मरक्यूरी ऑक्साइड से बनता है और इससे त्वचा कैंसर के अलावा लकवा और दृष्टिदोष हो सकते हैं। केमिलयुक्त रंगों से बाल झड़ने की समस्या हो सकती है। यदि होली खेलना है तो शरीर में सरसों के तेल की मालिश कर लें या वैसलीन का लेपन कर लें। इससे नुकसान की संभावना कम हो जाती है।

असली और मिलावटी रंग की ऐसे करें पहचान

अखिलेश कुमार शुक्ला ने बताया कि त्वचा पर लगाकर टेस्ट न करना हो तो पानी से भी टेस्ट करके देखा जा सकता है। रंगों को पानी में टेस्ट करने के लिए एक चम्मच के बराबर रंग को पानी में घोलें अगर रंग पानी में पूरी तरह घुल जाता है तो रंग प्राकृतिक है और अगर नहीं तो रंग केमिकल वाला है या फिर उसमें मिलावट की गई है। इसके अलावा, बर्तन को साफ करने पर भी प्राकृतिक रंग आसानी से धुलकर निकल जाएंगे जबकि केमिकल वाले रंगों को छुड़ाने में अत्यधिक जद्दोजहद करनी पड़ सकती है।

सीएमओ डॉ.रामअवतार ने बताया कि होली में केमिकल वाले रंगों के प्रयोग से स्किन में समस्या के साथ साथ ही आंख में दिक्कत हो सकती है। कुछ केमिकल तो इतने ज्यादा घातक हैं त्वचा के गंभीर रोग तक हो सकते हैं। होली में अस्पतालों में त्वचा रोग विशेषज्ञ और नेत्र सर्जन की चौबीस घंटे उपलब्धता रहेगी। सभी तरह की दवाएं और डॉक्टरों की मौजूदगी रहेगी, लेकिन होली सावधानी से और सुरक्षित रंगों से खेलने में ही भलाई है।