टीम इंस्टेंटखबर
ऑल पार्टी मीटिंग में बुधवार को जातीय जनगणना कराने का फैसला लिया गया. इसके बाद गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में जाति आधारित जनगणना कराने के लिए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है.

ऑल पार्टी मीटिंग के बाद सीएम नीतीश कुमार ने कहा था बहुत जल्द कैबिनेट की बैठक में इस बारे में प्रस्ताव लाया जाएगा. इसके बाद गुरुवार को सीएम ने कैबिनेट की बैठक बुलाई. बैठक में जाति आधारित जनगणना कराने के लिए प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है.

मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि आठ महीने के अंदर जातीय जनगणना पूरी करा ली जाएगी.

जातीय जनगणना बिहार सरकार अपने ही संसाधनों से कराएगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गणना कई स्तरों पर होगी. सामान्य प्रशासन को मुख्य जिम्मेदारी दी जाएगी. तो वहीं जिला स्तर पर जिला प्रशासन इसके पदाधिकारी होंगे. इसके साथ ही पंचायत स्तर पर भी जिम्मेदारी तय होगी. जातीय जनगणना के लिए 500 करोड़ का प्रावधान बिहार आकस्मिक निधि से किया जाएगा. जातीय जनगणना के लिए 2023 फरवरी माह की डेडलाइन तय की गई है.

जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में दावे हैं कि इससे बिहार के लोगों को कई फायदे होंगे. इसमें सभी धर्मों की जातियों और उपजातियों की जनगणना होगी. साथ ही यह भी पता चल पाएगा कि कौन कितना गरीब है.