कोरोना संकट के बीच अमेरिकी कांग्रेस ने चीनी अधिकारियों को उइगर मुस्लिम को हिरासत में लेने से रोकने के लिए लाए गए विधेयक को मंजूरी दे दी है। अब इस विधेयक को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मंजूरी के लिए ह्वाईट हाउस भेजा गया है। प्रतिनिधि सभा ने बुधवार को चीन के पश्चिमी क्षेत्र शिनजियांग में उइगर मुसलमानों को हिरासत में रखने और प्रताड़ित करने के लिए चीनी अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंधों का आह्वान करते हुए बिल पारित किया। इससे अमेरिका और चीन के बीच जारी तनाव और बढ़ सकता है।
इस अधिनियम के विरुद्ध सिर्फ एक वोट पड़ा। इसके अलावा सभी वोट इसके पक्ष में पड़े। इसके लिए टैली 413-1 थी। सीनेट ने सर्वसम्मति से विधेयक पारित किया। इससे अब चीन पर मानवाधिकार प्रतिबंध लगाने के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प पर भी दबाव डाला गया है।
कई मानवाधिकार समूह का कहना है कि कम से कम 10 लाख उइगर और अन्य तुर्की मूल के मुस्लिमों को चीन के उत्तर-पश्चिम में स्थित जीनजियांग प्रांत के शिविरों में रखा जा रहा है। इन शिविरों में उनके साथ मारपीट और तरह-तरह के अत्याचार किए जाते हैं, इसके साथ ही उनकी ब्रेनवाशिंग भी की जाती है।
अमेरिका के प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पलोसी ने कहा कि अगर अमेरिका व्यापार हित को देखते हुए चीन में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों पर कुछ नहीं कहेगा तो हम दुनिया में किसी भी जगह पर नैतिकता के बारे में कुछ कहने का हक खो देंगे। वहीं रिपब्लिकन नेता माइकल मकौल ने चीन पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह राज्य-प्रायोजित सांस्कृतिक नरसंहार है। मकौल ने कहा कि बीजिंग ने एक पूरी संस्कृति को मिटाने की कोशिश की है, वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि यह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अनुरूप नहीं है।
इस्लाम को मानने वाले उइगर समुदाय के लोग चीन के सबसे बड़े और पश्चिमी क्षेत्र शिंजियांग प्रांत में रहते हैं। उइगर पूर्वी और मध्य एशिया में बसने वाले तुर्की जाति की एक जनजाति है। इनमें से लगभग 70 प्रतिशत इस क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिम में स्थित तारिम घाटी में रहते हैं। चीन में उइगरों की आबादी एक करोड़ से अधिक है। उइगरों को केवल एक क्षेत्र के मूल निवासी के रूप में मान्यता दी जाती है, जो चीन का शिंजियांग क्षेत्र है। उन्हें चीन के 55 आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त जातीय अल्पसंख्यकों में से एक माना जाता है।
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