लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि सरकारी धन से चुनावी तैयारियांे में जुटी समाजवादी पार्टी बुन्देलखण्ड में समाजवादी राहत सामग्री के पैकेट पर मुख्यमंत्री का फोटो चस्पा कर बांट तो रही है, पर इसका हाल भी लैपटाप जैसा ना हो जाये। प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा बड़े जोर-शोर से मुख्यमंत्री की तस्वीरे छापकर लैपटाप बांटने की कवायद की गयी, किन्तु लैपटाप योजना के लिए धन आवंटन होने के बावजूद पैसे नहीं खर्च किये गये। उन्होंने कहा 13वें वित्त आयोग से मिले धन का 1875 करोड़ रूपये खर्च नहीं हो पाये। 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुसार प्रति ग्राम पंचायत 80 लाख रुपए एवं प्रति नगर पालिका 21 करोड़ रुपए अनुदान सहायता मिलनी है, समुचित खर्च के प्रबंध तो हो।

सोमवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा बात-बात में केन्द्र से धन न मिलने का सियासी आरोप लगाते सपाई केन्द्र से जो धन मिल रहा है उसको खर्च क्यों नहीं कर पा रहे है ? उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि बुन्देलखण्ड में सूखा राहत सामग्री के नाम पर बंट रहा अनाज किस मद से वितरण किया जा रहा है, वितरित राहत पैकेट में केन्द्रांश भी हैं तो फिर मुख्यमंत्री के साथ प्रधानमंत्री की तस्वीरे क्यों नहीं है ? योजनाएं लागू हो आम जनता तक पहुंचे, विकास में सियासत न हो, भाजपा इसकी पक्षधर है किन्तु योजनाओं का सच तो जनता के बीच में भी जाना चाहिए, आखिर राज्य केन्द्र के संयुक्त प्रयास से आम जन को राहत मिल रही है। तो इसे बताने में क्या कठिनाई है।

उन्होंने कहा लगातार सरकार की लापरवाही और मुख्यमंत्री का लचर प्रशासनिक नियत्रण राज्य के विकास में अवरोध बनकर खड़ा हो रहा है, चाहे प्रधानमंत्री सड़क योजना हो अथवा स्वास्थ्य विभाग से सम्बधिंत योजनाएं सरकार योजनाओं को कार्यान्वित करान,े समय से धनराशि खर्च कर पाने फिसड्डी साबित हुर्ह है। 13वें वित्त आयोग के सिफारिसों पर सुबे के 6 विभागों को 5160 करोड़ रूपये मिले थे जिसमें 1875 करोड़ रूपये बिना खर्च किये ही लेप्स हो गये। सिचाई विभाग में तो 1401 करोड़ में से 1063 करोड़ रूपये खर्च ही नहीं हो पाये। सरकार योजनाओं के प्रचार-प्रसार में तो जुटी है किन्तु योजनाएं कार्यान्वित हो न तो इस ओर अखिलेश सरकार की रूचि न ही नीति। यही कारण है कि विकास के थोथे दांवे तो हो रहे है। किन्तु विकास हो नहीं रहा है।

श्री पाठक ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विकास के थोथे दांवो की बजाय हकीकत पर भी नजर डाले, पैसा खर्च न हो पाने का असर विकास परियोजनाओं पर पड़ता है। आखिर क्या कारण है कि सरकार विकास योजनाओं पर धन आवंटन तो करती है किन्तु जब धनराशि खर्च करने की बारी आती है तो समय से खर्च नहीं हो पाती है। उन्होनंे कहा केन्द्र सरकार से पर्याप्त राशि न मिल पाने का आरोप लगाते मुख्यमंत्री अखिलेश यादव योजनाओं का श्रेय ले, किन्तु सच भी तो बताये ?