राजनैतिक या प्रशासनिक प्रभाव में विवेचना का आरोप गलत: यूपी सरकार 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश शासन के प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि  इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष दायर आपराधिक विविध रिट याचिका संख्या-3428/2016 ‘संजय सिंह एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य’ में तथाकथित घटना के वादी द्वारा यह कहना गलत है कि विवेचना राजनैतिक या प्रशासनिक प्रभाव में की गई है। सच्चाई तो यह है कि विवेचना पूर्ण रूप से निष्पक्ष तथ्यों एवं साक्ष्यों पर आधारित है। जिन अभियुक्तों के विरूद्ध विवेचना के दौरान ठोस साक्ष्य पाए गए हैं, उनके विरूद्ध आरोप पत्र प्रेषित किया गया है। 

प्रवक्ता ने कहा कि न्यायालय द्वारा यदि विवेचना में कोई भी अपूर्णता पायी जाती है तो उसका तुरन्त संज्ञान लेकर विवेचना निष्पक्ष रूप से करायी जाएगी। इसके बावजूद भी यदि न्यायालय को विवेचना सी0बी0आई0 से कराया जाना सही मालूम  होता है तो इस सम्बन्ध में न्यायालय द्वारा निर्गत आदेश का राज्य सरकार पूर्ण रूप से सम्मान व पालन करेगी। 

ज्ञातव्य है कि श्रीमती इकरामन पत्नी अखलाक ग्राम बिसाहडा, थाना जारचा, जिला गौतमबुद्धनगर की तहरीर के आधार पर अभियोग पंजीकृत किया गया था। वादिया ने अपनी तहरीर में आरोप लगाया है कि 28 सितम्बर, 2015 को रात्रि गांव के 10-15 लोग हाथों में लाठी, डण्डा, भाला, तमंचा लेकर गाली-गलौज करते हुए आए और इकरामन के घर में घुसकर उसके पति अखलाक और बेटे दानिश को जान से मारने की नीयत से मारने लगे। वादिया, उसकी सास असगरी और पुत्री शाइस्ता ने बचाने की कोशिश की तो उनके साथ भी मारपीट की और एक तरफ धक्का दे दिया। हमलावरों ने घरेलू सामान भी तोड़ डाला। वादिया बल्ब की रोशनी में पहचान कर 10 व्यक्ति नामजद एवं 4-5 अन्य लोगों के विरूद्ध रिपोर्ट लिखायी। 

तहरीर के आधार पर मुकदमा पंजीकृत हुआ। घटना के तत्काल पश्चात् इलाज के दौरान घायल अखलाक की मृत्यु हो जाने के कारण अभियोग में धारा 302 भादवि की बढ़ोत्तरी की गयी। घायल दानिश लम्बे समय तक अस्पताल में भर्ती रहा। 

विवेचना के दौरान प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के धारा 161 द0प्र0सं0 के बयान चुटैल गवाह के बयान, गवाह शाईस्ता के धारा 161 एवं धारा 164 द0प्र0सं0 के बयान एवं अन्य संकलित साक्ष्य के आधार पर कुल अभियुक्तों के विरूद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया है, जो आरोप विरचित किए जाने हेतु अपर सत्र न्यायालय/फास्ट ट्रैक गौतमबुद्धनगर के समक्ष लम्बित है, जिसकी सुनवाई हेतु 07 अप्रैल, 2016 नियत है। 

यह भी उल्लेखनीय है कि इस मामले में निष्पक्ष विवेचना जारचा थाना पुलिस द्वारा की गई है। विवेचना के दौरान संकलित हुए साक्ष्य के आधार पर धारा 173 (2) द0प्र0सं0 की रिपोर्ट मा0 न्यायालय में प्रेषित कर दी गई है। अब इस प्रकरण में किसी भी बिन्दु/तथ्य के सम्बन्ध में कोई कार्रवाई शेष नहीं है। प्रकरण विचारण हेतु सक्षम अधिकारिता रखने वाले न्यायालय के समक्ष लम्बित है। 

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष दायर उक्त आपराधिक विविध रिट याचिका के याचिकाकर्ता का यह कथन असत्य है कि वह इस घटना का वादी है। सच्चाई तो यह है कि इस घटना की वादिनी श्रीमती इकरामन हैं, जो घटना में मृतक अखलाक की पत्नी एवं घायल दानिश की मां हैं। याची का यह कहना भी असत्य है कि भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता होने के कारण उसके विरूद्ध कार्रवाई की गई है।