लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि भम्रित मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अधिकारियों को भरोसे के लायक नहीं बताते तो दूसरी ओर चहेते अधिकारियों को सेवा विस्तार दे भरोसा जता रहे है। प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि राज्य में दर्जन भर पंसदीदा अधिकारी सरकार चला रहे है। योजनाओं का दंभ भरते मुख्यमंत्री को समझ में आ रहा है कि योजनायें जनता तक नहीं पहुंच रही है। श्री पाठक ने सवाल करते हुए कहा कि बार-बार 45 लाख लोगों को समाजवादी पेंशन दे रहे है, का दावा करने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एक बार सच तो जान ले, कि क्या उनकी सरकार में अब तक 45 लाख लोगों तक समाजवादी पेंशन पहुंच गयी।

मंगलवार को पार्टी मुख्यालय पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कथन की ‘अधिकारी भरोसे के लायक नहीं’ पर प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि 4 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने जा रही अखिलेश सरकार पूरी तौर पर भम्रित है। भ्रम का आलम ये है कि इन 4 वर्षों में सरकार न तो नौकरशाही में स्वस्थ्य कार्य संस्कृति विकसित कर पायी न ही काम-काज का वातावरण बना पायी, नतीजा विज्ञापन पटों पर मुख्यमंत्री की घोषणाओं में विकास के बड़े-बड़े दावे है किन्तु दावों से इतर हकीकत है। मुख्यमंत्री कहते है एक काल में लोगों के घरों पर एम्बुलेंस पहुंच जाती है, परन्तु सच यह है कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री काल करते रहे एम्बुलेंस नहीं पहुंची, यहां तक की फोन ही नहीं उठा।

उन्होंने कहा कि समाजवादी पेंशन योजना को लेकर लगातार 45 लाख लोगों को दिये जाने की दांवे होते रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद भी कल एक कार्यक्रम कह रहे थे कि 45 लाख लोगों को समाजवादी पेंशन दे रहे है किन्तु समीक्षा बैठक और तथ्यों की हवाले से जो खबरे आयी है उसमें यह आंकड़े कुछ और है, फिर जब उनकी जानकारी में, उनके विभागीय मंत्री की जानकारी में है तो इस सच से क्यों मुहँ चुराने की कोशिश हो रही है। पूरे होते वादें का दंभ भरते सपाई ये क्यों नहीं बताते कि बेरोजगारी भत्ते के बंटने की क्या स्थिति है, लैपटाप वितरण को लेकर संख्या गिनाते मुख्यमंत्री अपने ही वांदे पर क्या खरे उतर पाये। टैबलेट का वितरण शुरू हो गया क्या?

श्री पाठक ने कहा कि थोथे दावों के भरोसे राज्य में वातावरण बनाने में जुटे मुख्यमंत्री ये समझ रहे है कि जमीनी तौर पर हकीकत कुछ और है। सरकारी अनिर्णय और अनिश्चिता के कारण न तो राज्य की कानून व्यवस्था पटरी पर आ रही है न ही येाजनायें। परस्पर अविश्वास का आलम ये है कि मुख्यमंत्री अधिकारियों को भरोसे लायक नहीं मानते है पर वहीं वे चहेते अधिकारियों पर भरोसे का अतिरेक भी कर रहे है, यहीं कारण है कि कुछ चुंनिदा वरिष्ठ अधिकारियांे पर ही भरोसा जता उन्हें कई-कई विभागों को चार्ज देने का मामला हो अथवा सेवानिवृत्त अधिकारियों को लगातार सेवा विस्तार, सब जारी है किन्तु नाकामी का ठीकरा फोड़ने के लिए अधिकारी भरोसे के लायक नहीं है।