लखनऊ। आम बजट से एक दिन पहले सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए 27,758.98 करोड़ रुपये का दूसरा अनुपूरक अनुदान बजट विधानसभा में बसपा, भाजपा व कांग्रेस  की गैरमौजूदगी में पारित कराया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विपक्ष के रवैये को गैर जिम्मेदाराना बताते हुए अनुपूरक बजट को किसान हित में जरूरी बताया। उनका कहना था कि सरकार की प्राथमिकता में किसान सर्वोपरि रहे हैं। सूखे से पीडि़त किसानों को राहत दिलाने में कमी न आने देने के लिए ही बजटीय व्यवस्था की जा रही है। चालू वित्तीय वर्ष में पहला अनुपूरक बजट गत 17 अगस्त 2015 को पेश किया गया था।

मुख्यमंत्री ने अनुपूरक बजट पेश करते हुए बताया कि सूखा झेल रहे बुंदेलखंड के किसानों को राहत देने व भारी कर्ज के बोझ तले दबी बिजली वितरण कंपनियों का खासा ख्याल रखा गया है। बिजली वितरण कंपनियों को उज्जवल डिस्कॉम इश्योरेंस योजना (उदय) के जरिए राहत दी जाएगी। केंद्र सरकार ने सूबे में सूखे से प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए हाल ही में धनराशि स्वीकृत करने का एलान किया है। केंद्र से मिलने वाली धनराशि को बांटने के लिए अनुपूरक बजट में प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने किसानों को राहत देने में बिहार व मध्यप्रदेश से तुलना करते हुए कहा कि इतनी जल्दी एवं बड़ी धनराशि किसानों को आपदा राहत में कहीं नहीं बांटी गयी। आत्महत्या करने पर किसानों के आश्रितों को सर्वाधिक वित्तीय सहायता उप्र में ही दी गयी। उन्होंने मथुरा में ओलाव़ृष्टि से नुकसान का हवाला देते हुए कहा कि इतनी तेजी राहत वितरण की कार्यवाही कहीं नहीं हो सकती।

मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा प्रस्तुत बजट खर्च के आकंड़ों को पुराने बताते हुए कहा कि कंप्यूटर से दुश्मनी न करें, ताजा आंकड़े देखेंगे तो असल तस्वीर मिलेगी।

इससे पूर्व विपक्ष ने अनुपूरक बजट के औचित्य पर ही सवाल खड़े किए। नेता विरोधी दल स्वामी प्रसाद मौर्य ने जनवरी माह के अंत तक कृषि, पंचायतीराज, ग्राम विकास, पशु पालन एवं मत्स्य विकास जैसे किसानों से जुड़े विभागों में बजट खर्च नहीं करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और किसान वर्ष मनाने को धोखा करार दिया। आरोप लगाया कि अब डेढ़ माह में हजारों करोड़ रुपयों को ठिकाने लगाने में घोटाले होंगे। बसपा सदस्यों ने सरकार विरोधी नारे लगाते हुए बहिर्गमन भी किया। भाजपा के सुरेश खन्ना भी बजट से एक दिन पहले अनुपूरक लाने के विरोध में बोले और सहयोगियों के साथ सदन से उठकर चले गए। कांग्रेस सदस्यों ने भी यही प्रक्रिया दोहरायी। प्रदीप माथुर भी अनुपूरक बजट को खारिज करते हुए कांग्रेस सदस्यों के साथ सरकार विरोधी नारेबाजी करते वाकआउट कर गए।

विधान परिषद में नेता सदन अहमद हसन ने अनुपूरक बजट पेश किया। भोजनावकाश के बाद कार्यवाही शुरू होने पर वेल में धरने पर बैठे निर्दल समूह व भाजपा के सदस्य और सत्तापक्ष के देवेंद्र प्रताप सिंह सभापति के आसन के सामने खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। विधानसभा से पारित अनुपूरक बजट को शोरशराबे के बीच ही विधान परिषद में भी ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।