राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों का सम्मलेन आयोजित 

लखनऊःउत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित ‘राज्यपाल सम्मेलन‘ में प्रदेश के विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखी। सम्मेलन में राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सहित अन्य सभी प्रदेशों के राज्यपाल एवं उप राज्यपाल सम्मिलित थे।

सम्मेलन में राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि उत्तर प्रदेश से 13 के स्थान पर 14 स्मार्ट सिटी चयनित की जाय। मेरठ एवं रायबरेली के नागरिकों में कोई भ्रम न हो इसलिए दोनों शहरों को स्मार्ट सिटी में सम्मिलित करने पर विचार किया जाए।

राज्यपाल श्री राम नाईक ने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य के 25 विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होने के नाते वे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने हेतु सदैव प्रयास करते रहे हैं। विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद रिक्त हैं। रिक्त पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति के बिना उच्च शिक्षा के स्तर में सुधार नहीं लाया जा सकता। शिक्षकों की नियुक्ति प्राथमिकता के आधार पर होनी चाहिए। कुलपतियों का कार्यकाल तीन साल होना शिक्षकों की नियुक्ति न हो पाने का एक कारण हो सकता है। राष्ट्रपति अपने स्तर से मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक बुलाकर विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यकाल पांच वर्ष करने पर विचार करें। पांच साल के कार्यकाल से विश्वविद्यालय में स्थिरता आयेगी। सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में कुलपति का कार्यकाल पांच वर्ष का है। गत 9 जनवरी को उत्तर प्रदेश के समस्त राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति सम्मेलन में कार्यकाल पांच वर्ष करने का प्रस्ताव पारित हुआ है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह में डेªस कोड परिवर्तन कर भारतीय परिधान अपनाने की व्यापक स्तर पर सराहना हुई है और अच्छी प्रतिक्रियाएं सामने आयी हैं।

राज्यपाल श्री राम नाईक ने कहा कि राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री अपने स्तर से प्रयास करें कि सभी राज्यों में कुष्ठ पीडि़तों को समान निर्वहन भत्ता मिले। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने कुष्ठ पीडि़तों का निर्वहन भत्ता उनके सुझाव पर रूपये 2,500 प्रतिमाह कर दिया है। श्री नाईक ने बताया कि उन्होंने 2007 में कुष्ठ पीडि़तों के पुनर्वास के लिए राज्यसभा में एक याचिका प्रस्तुत की थी। उस याचिका पर संसदीय समिति ने जो सिफारिश दी है, उसको अमल में लाया जाय तो सही अर्थों में अंत्योदय का भी विकास होगा। 

राज्यपाल ने राष्ट्रपति द्वारा राज्य विधान मण्डल में एकरूपता लाने के लिए जो दिशा निर्देश जारी किये गये थे, उस पर पुनर्विचार करके विधि मण्डल के कार्य की गरिमा बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा जारी दिशा निर्देश को आदेश मानकर पालन करना चाहिए।

राज्यपाल श्री राम नाईक ने डिजिटल इण्डिया पर चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान में सभी पत्र व्यवहार एवं सूचनाएं डिजिटल तरीकों से संप्रेषित की जाती हैं। ऐसे में राज्यपालों एवं उनके कार्यालय को चाहिए कि लेटर हेड पर राजभवन के टेलीफोन नं0, वेबसाईट तथा ई-मेल का उल्लेख हो। इसी प्रकार अन्य सरकारी विभागों के लेटर हेड पर भी ऐसी जानकारी का उल्लेख होना चाहिए। उन्होंने कहा कि डाक टिकट के स्थान पर फैं्रकिंग मशीन का उपयोग किया जाए जिससे डाक टिकट छापने में पेपर का वेस्टेज नहीं होगा और अनावश्यक व्यय से बचा जा सकता है। 

राज्यपाल श्री राम नाईक ने सम्मेलन में उत्तर प्रदेश की भौगोलिक एवं जनसांख्यिकीय स्थिति पर अपने विचार रखते हुए कहा कि प्रदेश से 80 सांसद चुनकर आते हैं। अब तक उत्तर प्रदेश ने 9 प्रधानमंत्री दिये हैं। प्रदेश में पंचायत चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं तथा 2017 में विधान सभा के आम चुनाव होने हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है जिसे केन्द्र सरकार से विशेष आर्थिक सहायता की आवश्यकता है।

राज्यपाल ने उपरोक्त बिन्दुओं के अतिरिक्त प्रदेश की आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा, साइबर क्राइम, प्रदेश में सरकार द्वारा कौशल विकास, स्वच्छ भारत, 2022 तक सबको आवास, मेक इन यू0पी0, मेट्रो, औद्योगिक विकास, अवस्थापना विकास व जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी दी।