इलाहाबाद: आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह नौजवानों को छोड़े जाने और इन आरोपों से बरी हुए नौजवनों के पुनर्वास और मुआवज़े के सवाल पर सपा सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ रिहाई मंच द्वारा प्रदेश व्यापी आन्दोलन के तहत इलाहाबाद, फूलपुर, मडियाहू व मछलीशहर में जनसंपर्क किया गया.

इलाहाबाद स्थित स्वराज विद्यापीठ में संबोधित करते हुए रिहाई मंच के अध्यक्ष मो शोएब ने कहा कि एक बार फिर से आतंकवाद के झूठे आरोपों में मुसलिम बेगुनाह नौजवानों को फसाने का खेल सरकारों ने शुरू कर दिया है. जिससे निपटने के लिए जरूरी है की इन गिरफ्तारियो के खिलाफ व्यापक जन आन्दोलन खड़ा किया जाए. क्योंकि इस मसले पर सभी सियासी पार्टियाँ एक साथ खड़ी हैं. जहाँ सपा ने बेगुनाहों को छोड़ने के चुनावी वादे पर जनता को धोखा दिया है तो वहीँ बसपा हुकूमत में बहुत सारे बेगुनाहों को आतंकवादी बताकर जेलों में दाल दिया गया था. ऐसे में जरुरी हो जाता है कि मुसलिम विरोधी ख़ुफ़िया विभाग, सुरक्षा एजेंसियों और इन पार्टिओं के खिलाफ व्यापक गोलबंदी की जाए. रिहाई मंच इसी प्रयास के तहत लोगों के बीच जा रहा है. स्वराज विद्यापीठ के बाद रिहाई मंच के सदर ने करेली, फूलपुर में भी इस आन्दोलन के समर्थकों के साथ रिहाई मंच के नेताओं ने जनसंपर्क किया और इस आन्दोलन को मजबूत बनाने की अपील की.

8 फरबरी को मडियाहूँ, जहाँ के बेगुनाह नौजवान खालिद मुजाहिद की हिरासती हत्या सपा सरकार, एटीएस और ख़ुफ़िया एजेंसी ने मिलकर कर दी थी, में भी स्थानीय लोगों के साथ रिहाई मंच ने जनसंपर्क किया. इस दौरान जुनैद खान ने कहा कि मुसलमानों के ऊपर बढ़ रहे हमलों की एक अहम वजह खुद उनमें सियासी जागरुकता की कमी है जिसकी वजह से मुसलिम समाज अपने सवालों पर खुद नहीं लड़ पाता. इस अवसर पर रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि सामाजिक न्याय के नाम पर मुसलमानों से वोट और नोट तो मुलायम सिंह और मायावती ने खूब लिया लेकिन बदले में उन्हें सिर्फ चोट ही चोट पहुंचाया. जिसका हिसाब मांगने का वक्त अब आ रहा है. वहीँ दोपहर में मछलीशहर में इकठ्ठा अवाम को संबोधित करते हुए मो शोएब ने कहा कि आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुसलिम नौजवओं को सिर्फ इसलिए फसाया जा रहा है की हिन्दू और मुसलमान मिलकर अपने बुनियादी सवालों पर पूँजीपतियों की सरकारों के खिलाफ न लड़ पायें. उन्होंने कहा की. कोई भी मज़हब यह नहीं कहता की बेगुनाहों को जेलों में रखा जाना चाहिये और दोषियों को खुला छोड़ देना चाहिये. उन्होंने कहा कि इसीलिए रिहाई मंच के आन्दोलन में सभी इन्साफ पसंद लोग शामिल हैं और तमाम इन्साफ विरोधी लोग जिसमें हिन्दू मुसलिम दोनों हैं इस अभियान के खिलाफ सरकारों के साथ खड़े हैं. ऐसे लोगों को सिर्फ अपने फायेदे से मतलब होता है. इसलिए मुज्ज़फरनगर

में सांप्रदायिक हिंसा के सवाल पर कभी आज़म खान यह कहते हुए सुने जाते हैं कि राहत शिविरों में भिखारी रह रहे हैं तो कभी अहमद हसन कहते हैं की उत्तर प्रदेश में कोई बेगुनाह मुसलिम जेलों में बंद नहीं है. उन्होंने कहा कि सबसे शर्मनाक तो यह है की कुछ कथित धार्मिक संगठन और उनके नेता भी इस गिरोह का हिस्सा हैं जिनके मंचों पर जाकर मुलायम सिंह यादव तक यह झूठा दावा कर आये हैं कि उनकी सरकार ने आतंकवाद के नाम पर कैद मुसलिम बेगुनाहों को सत्ता सँभालते ही छोड़ दिया था. 

सपा सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ रिहाई मंच द्वारा चलाये जा रहे इस प्रदेश व्यापी अभियान के पहले चरण के तहत आजमगढ़ और जौनपुर में मो शोएब के साथ रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम, इन्साफ अभियान के महासचिव दिनेश चौधरी व रिहाई मंच नेता शकील कुरैशी साथ रहे.