नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश में अभी तक नया लोकायुक्त नियुक्त न किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नाराजगी जताई है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि नये लोकायुक्त की नियुक्ति के आदेश का पालन नहीं करने पर क्यों न अवमानना की कार्यवाही की जाए। 

लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर दाखिल एक नई याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एनवी रमण की पीठ ने सख्त प्रतिक्रिया दी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि उप्र में मौजूदा लोकायुक्त की जगह लेने के लिए दूसरा नाम खोजने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने अभी तक नियुक्ति नहीं की है। 

विदित हो, पिछले साल 24 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने उप्र लोकायुक्त अधिनियम में भ्रष्टाचार निवारण लोकपाल के लिए कार्यकाल आठ साल तय किए जाने के संशोधन की सांविधानिक वैधता बरकरार रखी थी। साथ ही आदेश दिया था कि राज्य सरकार नये लोकायुक्त (सेवानिवृत्त न्यायाधीश) के चयन के लिए छह माह के भीतर कदम उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जुलाई में अपने आदेश का पालन न होने पर एक अवमानना याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को प्रक्रिया पूरी करने के लिए तीस दिन का समय दिया था। यह अवधि भी बीत गई। इस पर सच्चिदानंद गुप्ता की ओर से राज्य सरकार के खिलाफ नई अवमानना याचिका दाखिल की गई है। गुप्ता की ओर से अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने मांग की कि राज्य प्रशासन को आदेश की अनदेखी के लिए अवमानना नोटिस जारी की जाए। ध्यान रहे, मौजूदा लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा को 16 मार्च 2006 में छह साल के लिए नियुक्त किया गया था। बाद में सरकार ने अधिनियम में संशोधन के जरिए उनका कार्यकाल दो साल और बढ़ा दिया। उनका कार्यकाल आठ साल से ज्यादा हो चुका है।